Mental Health: इमोशन की कमी का सीधा कनेक्शन मेंटल हेल्थ से जुड़ा है. यह एक ऐसी कंडीशन होती है, जिसमें किसी चीज को लेकर उत्साह नहीं होता है. इसे उदासीनता (Apathy) कहा जाता है. उदासीनता में भावनाएं शून्य हो जाती हैं. जिंदगी जीने काम मन नहीं करता है. कॉन्फिडेंस पूरी तरह टूट जाता है. इससे जीवन में नीरसता आ जाती है, जो मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित करता है. आइए समझते हैं आखिर यह अवस्था क्या है और इसके क्या नुकसान हैं...
उदासीनता क्या है
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उदासीनता कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक ऐसी अवस्था है, जब उदासी, खुली, जलन जैसी भावनाएं इंसान नहीं दिखा पाता है. वह आसपास के लोगों के कटा-कटा रहता है. ज्यादातर समय अपनी पिछली जिंदगी के बारें में सोचता रहता है और इस वजह से रोजाना की जिंदगी को सही तरह नहीं जी पाता है.
उदासीनता के क्या लक्षण हैं
रोजाना के काम में मन न लगना
किसी चीज का शौक न रह जाना
खुद के बारें में न सोच पाना
किसी भी रिश्ते में ज्यादा लगाव न होना
किसीके साथ समय न बिताने का मन करना
बहुत ज्यादा थके-थके से रहना
भावनाओं की कमी का अनुभव
जो चीजें कभी पसंद थी, अब उनमें दिलचस्पी न होना
अपने आप में ही ज्यादा देर तक अकेले रहना.
किसी समस्या का हल न करने में मुश्किल होना
उदासीनता का जिंदगी पर असर
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बहुत ज्यादा तनाव या उदासीनताएं बढ़ रही है और लगातार ऐसा हो रहा है तो तुरंत सावधान हो जाना चाहिए, नहीं तो ये सेहत के खराब कर देगा. इसकी वजह से फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की समस्याएं हो सकती हैं. अगर सही समय पर सही तरह से इसका इलान न किया जाए तो ये गंभीर हो सकती है.
उदासीनता का कारण और इलाज
अभी तक उदासीनता का कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चल सकता है. जिंदगी में कभी भी किसी भी स्थिति की वजह से ऐसा हो सकता है. खराब शारीरिक और मानसिक स्थितियों की वजह से ये समस्या हो सकती है. इसके कुछ कारणों में एक्सपर्ट्स मानते हैं कि उदासीनता किसी बीमारी की चपेट में आने से हो सकता है, लंबे समय तक साइकोलॉजिकल ट्रामा में रहना, सामाजिक, व्यावसायिक या व्यक्तिगत तनाव की वजह से भी ये हो सकती है. यह किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है. इसलिए जब भी इसके लक्षण दिखे तो तुरंत जाकर डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए. थेरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव कर इससे बचा जा सकता है.