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Mental Health: कहीं खुद पर आप भी तो नहीं कर रहे शक, हो सकता है इंपोस्टर सिंड्रोम! जानें क्या है ये बीमारी
इंपोस्टर सिंड्रोम बेहद गंभीर मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारी है. इसे अगर सही समय पर न समझा जाए तो कई समस्याएं जन्म ले सकती हैं. इस सिंड्रोम को लेकर सबसे बड़ी चिंता है कि इसे डॉक्टर भी नहीं पकड़ पाते हैं.
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इंपोस्टर सिंड्रोम का क्या लक्षण है
Source : Freepik
Impostor Syndrome: आजकल मेंटल हेल्थ से जुड़ी कई समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. इंपोस्टर सिंड्रोम भी इन्हीं में से एक है. इस सिंड्रोम के होने पर इंसान खुद की सफलता और क्षमता को ही शक की नजर से देखने लगता है. उसका कॉन्फिडेंस खोने गता है. वह हमेशा निगेटिव बातें ही करता रहता है. धीरे-धीरे वह एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार होने लगता है. इस बीमारी को लेकर सबसे बड़ी चिंता की बात है कि इसे डॉक्टर भी पकड़ नहीं पाते हैं. इसका असर सिर्फ पर्सनल लाइफ ही नहीं वर्कप्लेस और रिलेशन पर भी पड़ने लगता है. जानिए इसके लक्षण और बचने के उपाय...
इंपोस्टर सिंड्रोम के क्या लक्षण हैं
1. अपने ही काम पर शक करना
2. अपने स्किल और क्षमता को सही तरह न समझ पाना
3. अपनी सफलता का श्रेय दूसरी चीजों को देना, अपनी अच्छी परफॉर्मेंस से भी खुश न रहना
4. बहुत ज्यादा कठिन और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बनाना और चूक जाने पर निराश होना
5. मन में इस बात का डर बैठ जाना कि लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाएगा
इंपोस्टर सिंड्रोम से बचने के लिए क्या करें
1. हमेशा अपनी फीलिंग्स को अपने करीबियों से शेयर करें. अगर आप मन के निगेटिव विचार को छुपाएंगे तो वे बढ़ते ही चले जाएंगे.
2. हमेशा दूसरों की हेल्प करें. अकेले रहने वाले शख्स को ग्रुप या समाज में लाने की कोशिश करें. इससे आपका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा.
3. अपनी क्षमताओं को समझने की कोशिश करें. अगर इन पर शक भी हैं तो अपनी उपलब्धियां लखिें और आत्म-मूल्यांकन करें.
4. जब अपना मूल्यांकन करें तब छोटा सा कदम उठाएं और खुद से सवाल करें कि आपके विचार किस हद तक सही हैं.
5. काम को पूरा करने के लिए ज्यादा ध्यान न लगाएं, सिर्फ उसे सही तरह से करें. छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर करें.
6. गलती से भी अपनी तुलना किसी दूसरों से न करें. इससे आपके अंदर अच्छा नहीं है, ऐसी भावना बढ़ेगी.
7. किसी से बातचीत करते समय उसे ध्यान से सुनें और ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश करें.
8. जरूरत से ज्यादा सोशल मीडिया न चलाएं. इससे मन में हीन भावना आती है.
9. अपनी भावनाओं से न लड़ें, उन्हें स्वीकार करें. इससे मेंटल हेल्थ की प्रॉब्लम्स दूर होंगी.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion