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Health Tips: दिमाग की बत्ती बुझा सकती है Zero Carb Diet, Dieting करने से पहले जान लें इसके नुकसान

कार्बोहाइड्रेट और मेंटल हेल्थ का सीधा कनेक्शन है. कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में टूटकर दिमाग को ऊर्जा देते हैं. ग्लूकोज की मदद से दिमाग को कामकाज में मदद मिलती है. इसकी कमी से कई दिक्कतें हो सकती हैं.

Zero Carb Diet Side Effect :  वजन कम करने के लिए आजकल लोग तरह-तरह के डाइट प्लान फॉलो कर रहे हैं. इनमें से एक  जीरो कार्ब्स डाइट प्लान (Zero Carb Diet Plan) भी है, जिसे कीटो डाइट भी कहते हैं. इसमें खाने में कार्बोहाइड्रेट शामिल नहीं किया जाता है, जो सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है, क्योंकि अगर डाइट से कार्ब हटा दिया जाए तो ब्रेन सही तरह काम नहीं कर पाता है.

कार्बोहाइड्रेट ब्रेन की एनर्जी का आवश्यक सोर्स है. जब इसकी कमी होती है तो मेंटल हेल्थ बिगड़ने लगती है. इसकी वजह से चिड़चिड़ापन भी बढ़ने लगता है. दरअसल, कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में टूटकर दिमाग को एक्टिव बनाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं सेहत के लिए कार्बोहाइड्रेट कितना जरूरी है...

कार्बोहाइड्रेट क्या होता है
कार्बोहाइड्रेट दो तरह के होते हैं. पहला- सिंपल कार्ब्स, जिसमें मिठाई या शुगर ड्रिंक्स होती हैं और दूसरा कॉम्प्लेक्स कार्ब्स, जिसमें स्टार्च और फाइबर जैसी चीजें होती हैं. दोनों ही कार्ब्स ग्लूकोज में टूटते हैं. सिंपल कार्ब्स छोटा मॉलिक्युलर फाइबर है, जो शरीर में तेजी से टूटकर ऊर्जा देता है लेकिन कुछ ही समय के लिए, जबकि कॉम्प्लेक्स कार्ब्स लंबी मॉलिक्युलर सीरीज है, जिसके टूटने में ज्यादा समय लगता है और शरीर में ज्यादा देर तक टिका रहता है, जिससे देर तक चलने वाली एनर्जी मिलती है.

दिमाग के लिए क्यों जरूरी कार्ब

1.कार्बोहाइड्रेट ब्रेन की ऊर्जा का प्राथमिक सोर्स है. अपने काम को सही तरह करने के लिए इसे ग्लूकोज की जरूरत होती है, जो कार्ब से ही प्राप्त होता है. इसकी कमी से फोकस में कमी, कथान, मेंटल फोग हो सकती है.

2. कार्बोहाइड्रेट सेरोटोनिन उत्पादन को बढ़ा सकता है, इसकी कमी से सेरोटोनिन का लेवल कम हो सकता है, जिससे डिप्रेशन या एंग्जाइटी बढ़ सकती है.

3. मूड को बेहतर बनाए रखने के लिए ब्लड शुगर लेवल का सही होना जरूरी होता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट मदद करता है और मूड स्विंग होने, चिड़चिड़ापन रोकने में मदद कर सकता है.

4. तनाव में होने पर शरीर कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज करता है. जिसे पर्याप्त ग्लूकोज से कंट्रोल किया जा सकता है. कार्ब लेने से कोर्टिसोल को कंट्रोल कर तनाव दूर भगाने में मदद मिल सकती है.

कार्बोहाइड्रेट बिल्कुल न लेने पर क्या होगा

1. कार्ब न रहने से ऊर्जा की कमी हो जाएगी. शरीर में बहुत ज्यादा थकान होगी, चक्कर आ सकता है,, फोकस करने और काम करने में कठठिनाई हो सकती है.

2. कार्ब्स से बचने पर भूख बढ़ जाती है. इसके बिना ब्लड शुगर लेवल गिर सकता है, जो खतरनाक हो सकता है.

3. कार्बोहाइड्रेट से शरीर को फाइबर मिलता है, जो पाचन में मददगार है. जब फाइबर पर्याप्त नहीं मिल पाएगा तो कब्ज, सूजन या पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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