कई लोगों को चलते-चलते फोन पर बात करने की आदत होती है. आपने भी कभी न कभी तो ऐसा जरूर किया होगा. मगर क्या आप जानते हैं कि जो लोग चलते-चलते फोन पर बात करते हैं, उनमें कैंसर जैसी घातक बीमारी का खतरा ज्यादा होता है? जी हां आप सही सुन रहे हैं. जो लोग एक जगह ठहरकर या रुककर बात करते हैं, उनमें इस बीमारी का खतरा कम होता है. लेकिन मूव करते वक्त मोबाइल पर बात करने वालों में इसका रिस्क ज्यादा होता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा होता क्यों है, तो चलिए जानते हैं...
दरअसल जब हम टहलते-टहलते या चलते-चलते किसी से मोबाइल पर बात करते हैं, तो इस दौरान हमारा फोन लगातार सिग्नल ढूंढता रहता है. कभी वो सिग्नल से अलग होता है तो कभी वो सिग्नल से जुड़ता है. इसकी वजह से फोन से हाई लेवल का रेडिएशन निकलता है, जो कैंसर पैदा करने का कारण बनता है. हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो लंबे समय तक रेडिएशन के कॉन्टैक्ट में बने रहने से कई बीमारियों का रिस्क पैदा हो सकता है.
कई बीमारियों की चपेट में आने का खतरा!
एक्सपर्ट के मुताबिक, मोबाइल फोन रेडियोफ्रीक्वेंसी तरंगों के रूप में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का उत्सर्जन करते हैं. इन तरंगों के कॉन्टैक्ट में ज्यादा देर तक बने रहने से कैंसर सहित कई बीमारियां हो सकती हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, कई बार मोबाइल फोन में खोने की वजह से लोग सड़क या ट्रेन आदि दुर्घटनाओं के शिकार भी हुए हैं. इसके अलावा, सेल फोन की स्क्रीन को लंबे समय तक देखने से आंखों पर बुरा प्रभाव भी पड़ता है. कुल मिलाकर सेल फोन आपको कई गंभीर परेशानियों में डाल सकता है.
मोबाइल से हेल्थ पर पड़ते हैं ये बुरे प्रभाव
मोबाइल देखने के चक्कर में लोग कई बार नींद आने के बावजूद सोने को तवज्जों नहीं देते. जिसकी वजह से नींद पूरी नहीं होती. यह कहना गलत नहीं होगा कि मोबाइल नींद में खलल डालने का काम करता है. मोबाइल की स्क्रीन से एक ब्लू लाइट निकलने है, जो मेलाटोनिन के प्रोडक्शन में रुकावट पैदा करती है. मेलाटोनिन अच्छी नींद के लिए एक जरूरी हार्मोन है.
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