Monkeypox Alert: कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के बाद भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) ने स्वास्थ्य विभाग की मुश्कलें बढ़ा दी हैं. भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामाल 14 जुलाई को दक्षिण केरल (South Kerala) के कोल्लम जिने से सामने आया था. अब तक केरल से मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, दिल्ली (Delhi) में भी मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आया है. दुनिया के 75 देशों में अभी पंकीपॉक्स के 16 हजार से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है. 


WHO ने कहा, इस बीमारी का प्रकोप तेजी से पूरी दुनिया में फैल रहा है. यह किन माध्यमों से फैल रहा है इसके बारे में हमें अभी बहुत कम जानकारी है. मंकीपॉक्स को लेकर लोगों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि ये भी कोरोना की तरह ही खतरनाक तो नहीं. आइए आपको बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के मुकाबले मंकीपॉक्स कितना खतरनाक साबित हो सकता है.


1. कोरोना-19 की तरह संक्रामक नहीं


भारत में मंकीपॉक्स के अब तक चार मामले सामने आ चुके हैं लेकिन इस बीमारी से घबराने की बस सतर्क रहने की आवश्यकता है. आल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा के मुताबिक, मंकीपॉक्स से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. ये कोविड-19 की तरह संक्रामक नहीं है और ये कोरोना वायरस की तरह तेजी से नहीं फैलता है. 


2. इसमें मृत्यु दर बहुत कम


मंकीपॉक्स अभी तक दुनिया के 74 देशों में फैल चुका है. अब तक इसके 16 हजार 838 मामले सामने आ चुके हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार मंकीपॉक्स के केस भले ही दुनिया में तेजी से बढ़ रहे है लेकिन इसमें कोरोना के मुकाबले मृत्यु दर बहुत कम है. विशेषज्ञों की माने तो इससे संक्रमित मरीज 14-21 दिन में स्वस्थ हो जाता है. इससे मौत की आशंका भी बेहद कम होती है. मंकीपॉक्स को कड़ी निगरानी के जरिए प्रभावी रूप से रोका जा सकता है. 


3. दोहरे डीएनए स्वरूप वाला वायरस


डॉक्टरों के मुताबिक, मंकीपॉक्स वायरस दोहरे डीएनए वाला वायरस है. इसमें दो अलग-अलग वायरस पाए जाते हैं. मंकीपॉक्स में एक स्वरूप मध्य अफ्रीकी (कांगो बेसिन) है और दूसरा पश्चिम अफ्रीकी है. दुनिया में मंकीपॉक्स के मरीजों को जिस वैरिएंट ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है वो पश्चिमी अफ्रीकी वैरिएंट है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मंकीपॉक्स का पश्चिमी वैरिएंट इसके दूसरे वैरिएंट कांगों के मुकाबले कम गंभीर और प्रभावशाली है. इसलिए इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है. 


4. जल्द लक्षण पता लगने पर इलाज संभव


मंकीपॉक्स पीड़ित मरीज के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने के बाद ही इस बीमारी की होने की संभावना होती है. इस बीमारी में सबसे पहले चेचक की तरह बुखार आता है और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रहती है. इसलिए इसके लक्षण तुरंत ही सामने आने के बाद इसका इलाज समय पर शुरू कर मरीज का इलाज कर पाना संभव है. मरीज को आवश्यक दवाएं और इलाज मुहिया करा कर आसानी से इस बीमारी से उबरा जा सकता है. 



5. समलैंगिक पुरुषों सबसे ज्यादा फैलता ये वायरस


एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मंकीपॉक्स का वायरस सबसे ज्यादा समलैंगिक पुरुषों में फैलता है. समलैंगिक और बायसेक्शुअल लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है. WHO के मुताबिक, हाल ही में जिन देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, उनमें से अधिकांश संक्रमण यौन संबंध बनाने से फैला है. इसलिए इस तरह के संबंधों से बचने की कोशिस करनी चाहिए.


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