नई दिल्ली: आर्थराइटिस एक पुरानी ऑटो इम्यून बीमारी है जो सूजन और दर्द के कारण जोड़ों की लाइनिंग को नष्ट कर देती है, इसका इलाज जल्द से जल्द करना चाहिए, नहीं तो बाद में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.



डॉक्टर्स के मुताबिक, आर्थराइटिस एक कमजोर स्थिति है. चिंता का विषय तो यह है कि लोग आर्थराइटिस के बारे में कम जागरूक हैं और उन्हें इसके इलाज के बारे में गलतफहमी है.

अब तक आर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी मानी जाती थी जो केवल बुज़ुर्गों को प्रभावित करती है. लेकिन अब ऐसा नहीं है. डॉक्टर कहते हैं कि आर्थराइटिस से पीड़ित युवाओं की संख्या अब बढ़ रही है. हैरानी की बात तो ये है कि इस बीमारी में उम्र के अब कोई मायने नहीं रह गए हैं. ये बीमारी अब केवल बुजुर्गों को प्रभावित नहीं करती है बल्कि किसी भी उम्र में हो सकती है.

क्या आप जानते हैं शरीर के सभी बड़े और छोटे जोड़ों में आर्थराइटिस पाया जा सकता है और डायग्नोस होने के बाद इसे ट्रीटमेंट और लाइफस्टाइल में सुधार के साथ ठीक किया जा सकता है.

आर्थराइटिस के कई प्रकार हैं जिसमें से सेप्टिक आर्थराइटिस, सोरियाटिक आर्थराइटिस और फाइब्रोमाइल्जी आर्थराइटिस रेयर हैं.

आर्थराइटिस होने पर इन फूड्स का करें नजरअंदाज –

चीनी और मीठे पेय पदार्थ: अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के अनुसार, मीठी चीज़ें इंफ्लेमेट्री एजेंट्स साइटोकिन्स को रिलीज़ करती हैं.

टमाटर और आलू जैसी सब्जियां: कुछ सब्जियां जैसे टमाटर और आलू अल्कोअलॉइड और सोलनिन से भरपूर हैं जो कि आर्थराइटिस के दर्द को बढ़ा सकता है. ऐसी सब्जियों की खपत भी टिशूज़ में कैल्शियम को कम कर सकती हैं.

इन चीजों से करें परहेज: प्यूरिन से भरपूर फूड शरीर में यूरिक एसिड के लेवल को बढ़ा देते हैं. ऐसे में आप बीयर, मीट, स्वीट-ब्रेड, बेकन, पोर्क, बीफ और सीफ़ूड का सेवन कम करें.

फैट्स और वनस्पति तेल: हाइड्रोजनयुक्त ट्रांस-फैट और कुछ वनस्पति तेल जैसे सैफ्लार, सनफ्लार, कॉर्न और सोयाबीन तेल भी जोड़ों के दर्द का कारण बन सकते हैं.

नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.