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हैरतअंगेज! भारत में 5 साल से कम उम्र के 58% बच्चे हैं एनीमिक
नई दिल्लीः बच्चों से प्यार तो हम सब ही करते है और अगर उन पर आंच आ जाए तो हम सब परेशान हो जाते है. आप भी अपने बच्चों की हेल्थ को लेकर कभी ना कभी जरूर सीरियस हुए होंगे. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी गंभीर बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं जो आमतौर पर पाँच साल से कम उम्र के बच्चों को देखी है. हालिया सर्वे में ये बात सामने आई कि केवल भारत में ही 5 साल से कम उम्र के 50% बच्चे एनीमिक हैं.
क्या कहता है सर्वे-
भारत में हुए एक फैमिली हेल्थ सर्वे में ये बात सामने आई है की 58% बच्चे जिनकी उम्र पाँच साल से कम है वो एनीमिया नाम की बीमारी से जुझ रहे है और इसी की वजह से उनके ब्लड में हीमोग्लोबिन की कमी देखी गई है.
बीमारी के लक्षण-
इस बीमारी की वजह से बच्चे खुद को जल्दी थका हुआ महसूस करने लगते है और ये बीमारी उनके दिमाग के विकास को भी नुकसान पहुँचाती है.
सर्वे के नतीजे-
2015-2016 में किए गए एक सर्वे में 6 लाख बच्चों को शामिल किया गया हैं. उसमें ये सामने आया कि 38% बच्चे अविकसित, 21% बच्चे कमजोर और 36% बच्चे अंडरवेट होते है.
पहले से अच्छी हुई है हेल्थ लेकिन...
2005-06 में हुए सर्वे की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर अब बच्चों की हेल्थ में काफी सुधार आया है लेकिन अभी भी अंडरनॉरिसमेंट का लेवल बढ़ रहा है और उसका कारण गरीबी को बताया जा रहा है.
2011 का सर्वे-
जबकि 2011 में आये सेंसेस डाटा में भारत में पाँच साल की उम्र के बच्चों की संख्या 12.4 करोड़ थी जिसमें से 7.2 करोड़ बच्चे एनीमिया का शिकार थे, 5 करोड़ बच्चे अविकसित थे, 2.6 करोड़ कमज़ोर थे और 4.4 करोड़ बच्चे अंडरवेट थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि एनीमिया से जुझ रहे बच्चे हमारे देश की बुरी सोशल और इकोनॉमिक कन्डिशन का एक साफ इंडिकेटर है.
एक सर्वे में पाया गया की आधे से भी ज्यादा प्रेग्नेंट औरतें भी एनीमिया की मरीज़ है जिसकी वजह से ये बीमारी खुद-ब-खुद उनके होने वाले बच्चे में ट्रांसफर हो जाती है. आपको ये बता दें कि 15-49 की उम्र में आने वाले लोगों में से 53% महिलाएं और 23% पुरुष एनीमिया का शिकार है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion