World Organ Donation 2024: 'वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन 2024' हर साल की तरह इस साल भी 13 अगस्त को मनाया जाएगा. इस मौके पर हम आपको एक रिपोर्ट पेश करने जा रहे हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक अंग दान में भी भारी लैंगिग असमानता देखने को मिली है. शुरुआत करते हैं जब लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने पिछले साल अपने 74 साल के पिता लालू प्रसाद यादव के लिए किडनी दान की थी. तो इसे शानदार निस्वार्थ प्रेम से तुलना की गई थी. उन्हें हीरो तक कहा गया.


हमने जब इसी मामले पर और भी कुछ रिसर्च किया तो पता चला मुंबई की एक सास की, जिसने अपनी एक किडनी अपनी 43 वर्षीय बहू को दान कर दी. इस खास रिसर्च के दौरान कई औरतों के नाम सामने जिसने अपने रिश्तेदार, फैमिली में ऑर्गन डोनेट किया.  हमने फिल्म आसपास के टेली शॉप शो में देखा है कि घर में अगर किसी को ऑर्गन की जरूरत पड़ती है तो घर की महिला हंसते हुए दान कर देती है.


यह देखते ही हम लोग इमोशनल हो जाते हैं. क्योंकि महिलाओं को देवी, करुणा और ममता की मूर्ती कहा गया है. जब हम इमोशन हटाकर लॉजिक के साथ सोचते हैं तो एक गंभीर समाज की सच्चाई हमारे सामने आती है. जिसे जानकर आप एक पल के लिए थोड़े असहज जरूर हो जाएंगे. हाल ही में सामने आई रिसर्च के मुताबिक अंगदान में लैंगिग असमानता न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया भर में है. 


नेशनल ऑर्गन एंड सेल्स ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) की रिपोर्ट के मुताबिक


नेशनल ऑर्गन एंड सेल्स ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) के अनुसार, भारत में अंग प्रत्यारोपण 2013 में 4,990 से बढ़कर 2022 में 16,041 हो गया है. यह अभी भी देश की 1.4 बिलियन से अधिक आबादी का एक छोटा सा हिस्सा है. इनमें से, मृतक दाताओं की संख्या जीवित दाताओं की संख्या से थोड़ी भी नहीं है. और इन जीवित अंग दाताओं में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है.


अंगदान में लैंगिक असमानता
हाल के दिनों में, भारत में विभिन्न अस्पतालों और राज्य-स्तरीय संगठनों ने अंगदान में लैंगिक असमानता के बारे में आंकड़े पेश किए हैं. बिहार में, जो लालू प्रसाद यादव का गृह राज्य है, 2016 से राज्य में रिपोर्ट किए गए कुल 170 से ज़्यादा किडनी प्रत्यारोपण में से 120 से ज़्यादा महिलाओं ने अपने प्रियजन के लिए किडनी दान की, जबकि सिर्फ़ 50 पुरुषों ने किडनी दान की थी. 


नई दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों से कई मीडिया रिपोर्ट्स में डॉक्टरों के हवाले से बताया गया है कि महिला अंग दाताओं और पुरुष अंग प्राप्तकर्ताओं में लिंग असमानता है. यह महिलाओं के लिए प्रत्यारोपण तक पहुंच में लिंग-आधारित असमानताओं को भी प्रभावित करता है.


लिपिंकॉट विलियम्स एंड विल्किंस जर्नल में 2021 में पब्लिश एक रिपोर्ट के किडनी रोग से पीड़ित महिलाओं को प्रत्यारोपण मूल्यांकन के लिए रेफर किए जाने और इसलिए किडनी प्रत्यारोपण करवाने की संभावना कम होती है, और फिर भी वे जीवित किडनी दाताओं में बहुसंख्यक होती हैं.


आखिर क्या कारण है जो पुरुष के मुकाबले महिलाएं अंगदान ज्यादा करती है?


पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज़्यादा अंगदान क्यों करती हैं? इसके कई कारण और परिकल्पनाएं हो सकती हैं. नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ़ इंडिया में 2022 के एक लेख के मुताबिक आर्थिक निहितार्थ, महिलाओं में आत्म-बलिदान की भावना, साथ ही संचार के माध्यम से संस्थानों या विशेषज्ञों में लैंगिक पूर्वाग्रह, ऐसे कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से ज़्यादा महिलाएं जीवित दाता बन जाती हैं. चाहे वे माँ हों, पत्नी हों, बेटी हों या बहनें.


पितृसत्तात्मक समाज का असर


लिवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. अंकुर गर्ग के अनुसार, इस बात पर कोई बहस नहीं है कि जीवित अंगदान में लैंगिक असमानता मौजूद है. डॉ. गर्ग ने हेल्थ शॉट्स को बताया, इसका एक बड़ा हिस्सा हमारे समाज की मानसिकता और कुछ हद तक इस तथ्य के कारण है कि यह एक पितृसत्तात्मक समाज है. ज़्यादा पुरुष शराबी लिवर रोग से पीड़ित हैं और पुरुषों में शराब पीना ज़्यादा आम है, और पत्नियां दाता बन जाती हैं.


महिलाएं अपनी घर-समाज से होती हैं काफी ज्यादा प्रभावित


हमारी सामाजिक मानसिकता ऐसी है कि हमारे समाज में अक्सर महिलाओं को फैमिली, रिश्तेदार, आसपास के लोग को देखभाल करने वाली और पालन-पोषण करने वाली के रूप में देखा गया है. कुरुणा और बलिदान की मूर्ति माना गया है. हमारे समाज में महिलाओं की परवरिश ऐसी की जाती है कि उन्हें दूसरे के लिए जीना पहले सिखाया जाता है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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