दोस्ती वो नहीं जो कुछ वक्त बाद खत्म हो जाए और दोस्त वो नहीं जिससे हम अपने दिल की बात शेयर न कर पाएं. दोस्त वो नहीं होते जो हमारे साथ स्कूल में लंच करते हैं या साथ बैठते हैं. दोस्त वो भी नहीं होते जो ऑफिस की 9 घंटे की शिफ्ट में साथ रहते हैं. दोस्त तो दरअसल वो होते हैं, जिनकों हम तकलीफ और मुश्किल में सबसे पहले याद करते हैं और हमें इस बात का विश्वास रहता है कि उसे अपनी परेशानी बताने से हमारी मुश्किलें वास्तव में दूर हो जाएंगी.
आपने महसूस किया होगा कि बढ़ती उम्र के साथ-साथ दोस्त कम होते चले जाते हैं. जब हम बड़े होते हैं तो दोस्तों की हमारी लिस्ट भी बहुत छोटी हो जाती है. एक रिसर्च के मुताबिक, करीबी और विश्वासपात्र दोस्तों की कमी सबसे ज्यादा पुरुषों को होती है. सर्वे सेंटर ऑन अमेरिकन लाइफ के सर्वे के मुताबिक, एक वयस्क पुरुष के लिए गहरी, सार्थक दोस्ती बनाना और इसे बनाए रखना महिलाओं की तुलना में बेहद कठिन होता है. आधे से भी कम पुरुषों ने अपने मन की बात जाहिर करते हुए यह बात कही है कि वे अपनी दोस्ती से संतुष्ट हैं.
केवल 5 में से 1 पुरुष ने कहा कि उन्हें अपने दोस्त से इमोशनल सपोर्ट मिलता है. जबकि 10 में से 4 महिलाओं ने यह बात कबूली है. कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में 'लड़कों के साइकोलॉजिकल डेवलपमेंट' के बारे में पढ़ाने वाले प्रोफेसर यी-चुंग चू ने कहा, 'पुरुषों के बीच दोस्ती का खत्म होना किशोरावस्था के मध्य के आसपास से शुरू होता है और वे वयस्कता की ओर बढ़ने लगते हैं. पुरुषों के साथ पुरुषों की दोस्ती महिलाओं की तुलना में कम गहरी रहती है.
इमोशनली डिस्कनेक्ट हो जाते हैं लड़के
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के एक रिसर्चर और प्रोफेसर डॉ. नीओब वे ने कहा कि एक वक्त बाद लड़के इमोशनली डिस्कनेक्ट हो जाते हैं. सभी इंसानों की यह इच्छा होती है कि उनके अच्छे और क्लोज़ फ्रेंड्स रहें. चू ने कहा कि हमें जीने के लिए इन रिश्तों की जरूरत पड़ती है. जैसे-जैसे हम बड़े होते चले जाते हैं, इनकी भी जरूरत बढ़ती चली जाती है. उन्होंने कहा रिसर्च से मालूम चलता है कि करीबी दोस्त हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी होते हैं. मगर पुरुषों की रचना समाज ने एक सख्त और कठोर रहने वाले व्यक्ति के रूप में की है. जबकि स्त्री की रचना एक कोमल व्यक्ति के रूप में की है. पुरुषों को हमेशा अपना नरम मिजाज़ छिपाए रखने की सलाह दी जाती है जैसे कि "लड़के नहीं रोते हैं". ये सख्त मिजाज कई बार लड़कों को दोस्ती बनाने और मजबूत करने से रोकता है और अकेलापन, हिंसा और क्रोध की ओर ले जाता है.
दोस्ती को देनी चाहिए प्राथमिकता
न्यू जर्सी के रिडवुड में स्थित साइकोलॉजिस्ट डॉ. फ्रैंक साइलियो ने कहा कि जिस तरह कई पुरुष सही खाने, योग करने, अपने करियर में सफल होने और बच्चों की ठीक तरह से परवरिश करने पर ध्यान देते हैं, ठीक उसी तरह पुरुषों को अपनी दोस्ती मजबूत करने और नए अच्छे दोस्त बनाने को भी प्राथमिकता देनी चाहिए.
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