हमारे भारतीय समाज (Indian Society) में औरत की तुलना 'देवी' से की गई है. यह बात सुनने और पढ़ने में जितना सुकून महसूस होता है लेकिन असल जिंदगी में सीधा इसके उलट है. एक तरफ जहां हम औरतों को देवी कहते हैं, वहीं असल जिंदगी में इन देवियों का हाल काफी ज्यादा बद्दतर है. महिलाओं की यह स्थिति आज से नहीं बल्कि सदियों से ऐसी ही बनी हुई है. आज हम बात करेंगे महिलाओं को होने वाले पीरियड्स (Periods) के बारे में. इस विषय पर जब आप डॉक्टर्स, हेल्थ एक्सपर्ट या गाइनोकॉलोजी से बात करेंगे तो साफ हो जाएगा कि एक महिला को 'पीरियड्स' आना कितना ज्यादा जरूरी होता है? 


पीरियड्स से जुड़ें हैं कई सारे मिथ


एक महिला या लड़की स्वस्थ्य है या बीमार है इसका पता उसके पीरियड्स से चलता है. वहीं दूसरी तरफ समाज में इसे लेकर कितने सारे मिथ बने हुए हैं साथ ही साथ इसे 'शर्मिंदगी' से भी जोड़कर देखा जाता है. एक लड़की अपने पीरियड्स को लेकर बात नहीं कर सकती. आप किसी शॉप पर पैड खरीदने गए तो वह आपको सबसे छिपाकर खरीदकर घर ले जाना होगा. कई घरों में इस दौरान एक महिला किचन में नहीं जा सकती. आचार नहीं छू सकती. तुलसी का पौधा नही छू सकती. पूजा नहीं कर सकती क्योंकि, पीरियड्स के दौरान एक लड़की हो या महिला पूरी तरह से अशुद्ध होती हैं. यह भी कहा जाता है कि पीरियड्स के दौराम महिलाओं के अंदर से गंदा खून निकलता है जोकि पूरी तरह से अशुद्ध होता है. सवाल यह उठता है कि क्या सच में महिलाओं को होने वाले पीरियड्स में गंदा खून निकलता है?


पीरियड्स में क्या होता है?


महिलाओं में होने वाले ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को पीरियड्स कहा जाता है. कहा जाता है कि 28 दिन के टाइम पीरियड के दौरान यूटरस के वॉल पर एग टूट-टूट कर जमने लगते हैं.जब 28 दिन पर इसकी वॉल मोटी हो जाती है. इसके बाद ब्लड के रूप में वजाइना के जरिए बाहर निकल जाता है. अगर यह न निकलें तो यह ट्यूमर का रूप ले सकती है. इसलिए अक्सर यह कहा जाता है कि लड़की या महिलाओं हेल्दी है इस बात का पता उनके पीरियड्स से चलता है. 


पीरियड्स के दौरान आचार नहीं छूना चाहिए या मंदिर में नहीं जाना चाहिए...


आइए जानते हैं क्या इस बात में कुछ सच्चाई है या सिर्फ मिथ है?


दरअसल, इस शुरुआत सदियों पहले से हो गई थी. पुराने जमाने में औरतें नदियां, तलाब, झील में नहाती थीं. और उस वक्त पैड का कल्चर भी नहीं था. कई एंशियंट हिस्ट्री की किताब में पढ़ेंगे तो इस बात का जिक्र मिलता है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं बाहर तालाब, झील और नदीं में नहाती थीं. जिसकी वजह से ऐसे नियम बना दिए गए थे कि वह इस दौरान नहीं नहाएंगी ताकि तालाब में ब्लड ने फैल जाए और उससे दूसरे को नहाने में दिक्कत न हो. और उन्हें कहा गया होगा कि वह अपने घर में रहकर ही आराम करें. ऐसे में महिलाएं पीरियड्स के दौरान बिना नहाएं घर पर रहती होंगी. साथ ही उन्हें किचन या किसी भी सामान को छूने कि इजाजत नहीं थी. क्योंकि गंदे हाथ से छूना साफ-सफाई के हिसाब से गलत है.


उस वक्त के सामाजिक परिस्थिति को देखकर ऐसे नियम बनाए गए होंगे लेकिन लेकिन आज के टाइम में यह बिल्कुल भी किसी एंगल से सही नहीं है. आज के समय में इन नियमों को मानने वाले सिर्फ अंधविश्वास को फैला रहे हैं. उस वक्त इतनी व्यवस्था नहीं थी इसलिए लोग इस तरह करके खुद का गुजारा करते थे. लेकिन आज की मॉर्डन लाइफस्टाइल में सबकुछ है आपको इन मिथ को तोड़ना चाहिए. आज कि लड़कियां पीरियड्स के दौरान नहाती भी हैं और खुद की साफ- सफाई का ध्यान भी रखती हैं. लेकिन कुछ घरों में आज भी ऐसे नियमों का बड़े आराम से पालन किया जा रहा है. जोकि गलत है. इसलिए जरूरी है इन नियमों को छोड़कर आगे बढ़ने का. इस दौरान लड़की हो या महिला उन्हें ज्यादा आराम और खुद की साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए.


पीरियड्स के दौरान शरीर से गंदा ब्लड निकलता है? 


पीरियड्स के दौरान महिलाओं को खुद का खास ख्याल रखना चाहिए. क्योंकि इस दौरान इंफेक्शन होने का खतरा काफी ज्यादा रहता है. यह भी सच्चाई है कि इस दौरान एक औरत को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए. जहां तक आचार सड़ने की बात कही जाती है इसके पीछे कोई साइंटफिक रीजन तो आजतक पता नहीं चल पाया है. आप साइंटिफिकली तरीके से सोचिए तो यह खून गंदा कैसे हो सकता है? बल्कि यह तो एक औरत में ओव्यूलेशन की एक प्रकिया है यह एक औरत की पहचान है. यही वह कारण है जिसकी वजह से एक औरत आगे जाकर मां बनती हैं या यूं कहें कि वह एक जीव को अपने अंदर पालती है. इसलिए दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज में से एक है औरत को माना गया है...


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