Nasal Vaccine: भारत में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार कम हो रहे हैं और अब अधिकारियों ने लोगों को वैक्सीन लगाने और उनको खतरनाक वायरस की तीसरी लहर से बचाने की कवायद तेज कर दी है. बड़े पैमाने पर वैक्सीन के उत्पादन और कम से कम समय में उसको उपलब्ध कराने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि नैजल स्प्रे पर रिसर्च जारी है, और अगर कामयाबी मिल गई तो ये भारत के टीकाकरण अभियान को बढ़ाएगा.


क्या है नैजल वैक्सीन?

बाजू के जरिए सुई के बजाए नैजल वैक्सीन नाक से दी जाती है. उसका लक्ष्य डोज को सीधे सांस के रास्ता तक पहुंचाना होता है, बहुत ज्यादा नैजल स्पे की तरह. पिछले साल, वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन का निर्माण किया था जिसे एक डोज में नाक के जरिए दिया जा सके और चूहे में संक्रमण की रोकथाम में प्रभावी रही थी. सेल पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में बताया गया था कि नाक के जरिए डिलीवरी संक्रमण के शुरुआती जगह को निशाना बनाता है और अधिक इम्यून रिस्पॉन्स का कारण बनता है. कुछ दिनों पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना था कि भारत में नैजल वैक्सीन बनाने के लिए परीक्षण जारी हैं, और ये 'बच्चों के लिए गेम चेंजर हो सकता है'.  भारत बायोटेक की विकसित इंट्रानासल वैक्सीन BBV154 पहले ही प्री क्लीनिकल ट्रायल के चरण में है.

 

नैजल वैक्सीन के फायदे?

इस वैक्सीन के डोज लेने के लिए सुई की जरूरत नहीं होती है और उसे देने के लिए हेल्थकेयर वर्कर्स की आवश्यकता भी नहीं पड़ती. उसमें कोरोना वायरस के कमजोर शक्ल का इस्तेमाल होता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इंट्रानासल वैक्सीन का महत्वपूर्ण फायदा ये है कि ये वायरस के दाखिले की जगह यानी नाक पर मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है. इससे वायरस और ट्रांसमिशन के खिलाफ सुरक्षा में मदद मिलती है. अगर कोरोना वायरस को दाखिले की इस जगह पर रोका जा सके, तो ये क्षति पहुंचाने के लिए लंग्स तक घुसने में सक्षम नहीं होगा.

 

भारत बायोटेक की नैजल वैक्सीन

वर्तमान में, भारत बायोटेक की नैजल वैक्सीन उम्मीदवार मानव परीक्षण के पहले चरण में है. कंपनी का दावा है कि ये संक्रमण और कोविड-19 दोनों को रोकने में मदद करती है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत बायोटेक को उम्मीद है कि साल के अंत तक उसकी नैजल वैक्सीन का 10 करोड़ डोज सामने आ सकता है.