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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या है नेशनल हेल्थ पॉलिसी, जानिए जे पी नड्डा की जुबानी!
नई दिल्लीः नई स्वास्थ्य नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दिए जाने को रेखांकित करते हुए हेल्थ मिनिस्टर जे पी नड्डा ने आज लोकसभा में अहम पहलुओं की जानकारी दी.
अहम बातें-
- कैबिनेट ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को अनुमोदित कर दिया है.
- स्वास्थ्य खर्च को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने प्रस्ताव, इस समय जीडीपी का 1.04% स्वस्थ्य बजट में खर्च होता है.
- 2025 तक औसत जीवन आयु 70 वर्ष करने का संकल्प लिया गया है फिलहाल अभी 67.5 है.
- 5 वर्ष से कम उम्र में मृत्यु दर को घटाकर 23 का लक्ष्य रखा गया है. 2016 में चाइल्ड मृत्यु दर 1000 जीवित बच्चों में 48 है.
- नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना है. 2016 में शिशु मृत्यु दर1000 जीवित बच्चों में 39 है.
- रोगी आधारित नीति और समस्याओं के निदान का अधिकार.
- स्वास्थ्य खर्च को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने के साथ सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाएं एवं अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल करने पर जोर दिया गया है.
- ये नीति बदलते सामाजिक आर्थिक, प्रौद्योगिकी और महामारी विज्ञान परिदृश्य में मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए 15 साल के अंतराल के बाद अस्तित्व में आई है.
- नई नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन पर बल देते हुए रूग्णता देखभाल के बजाए आरोग्यता केंद्रित करने पर जोर दिया गया है.
- इसमें जन्म से संबंधित जीवन प्रत्याशा को 67.5 से बढ़ाकर साल 2025 तक 70 करने, 2022 तक प्रमुख रोगों की व्याप्तता और इसके रूझान को मापने के लिए अशक्तता समायोजित आयु वर्ष (डीएएलवाई) सूचकांक की नियमित निगरानी करना.
- साल 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना, नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म लेने वाले बच्चे की दर को 2025 तक घटाकर ‘एक अंक’ में लाना है.
- इसमें साल 2018 तक लेप्रोसी (कुष्ठ रोग), वर्ष 2017 तक कालाजार और वर्ष 2017 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस का उन्मूलन करने की बात कही गई है. इसके साथ ही टीबी रोगियों में 85 प्रतिशत से अधिक की इलाज दर प्राप्त करने पर जोर दिया गया है ताकि वर्ष 2025 तक इसके उन्मूलन की स्थिति को प्राप्त किया जा सके.
- नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन पर बल देते हुए एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में जन स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है.’’
- नई स्वास्थ्य नीति में साल 2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता घटाने और इसके रोगियों के वर्तमान स्तर को घटाकर एक तिहाई करने का प्रस्ताव किया गया है.
- दयवाहिका रोग, कैंसर, डायबिटीज या श्वांस संबंधी पुराने रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु दर को साल 2025 तक घटाकर 25 प्रतिशत करने की बात कही गई है.
- इस नीति में गैर संचारी रोगों की उभरती चुनौतियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. यह समन्वित दृष्टिकोण का समर्थन करती है जिसमें रोकथाम सहित सर्वाधिक प्रचलित जांच से रूग्णता को कम करने और रोकी जा सकने वाली मृत्यु के मामलों पर पर्याप्त प्रभाव पड़ेगा. ’’
- नीति में आयुष प्रणाली के त्रि आयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है जिसमें क्रॉस रेफरल, सह स्थल और औषधियों की एकीकृत पद्धतियां शामिल है. इसमें प्रभावी रोकथाम और चिकित्सा करने की व्यापक क्षमता पर जोर दिया गया है जो सुरक्षित और किफायती है.
- योग को अच्छे स्वास्थ्य संवर्धन के भाग के रूप में स्कूलों एवं कार्यस्थलों में अधिक व्यापक ढंग से लागू किया जायेगा.
- विनियामक परिवेश में सुधार करने और उसे सुदृढ़ बनाने के लिए नीति में मानक तय करने के लिए प्रणालियां निर्धारित करने और स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है. यह नीति रोगी आधारित है और रोगियों को उनकी सभी समस्याओं का निदान करने का अधिकार प्रदान किया गया है.
- नीति में औषधियों तथा चिकित्सा शिक्षा में सुधार करने की अपेक्षा की गई है. यह नीति व्यक्ति आधारित है जो चिकित्सा परिचर्या चाहता है.
- नीति में स्वास्थ्य सुरक्षा का समाधान करने और औषधियों एवं उपकरणों के लिए मेक इन इंडिया को लागू करने की परिकल्पना की गई है. इसमें जन स्वास्थ्य लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा उपकरणों तथा उपस्करों के लिए नीतियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की भी परिकल्पना की गई है.
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