शारदीय नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाला त्यौहार है. जिसके दौरान पूरे भारत और दुनिया भर के भक्त देवी दुर्गा और उनके नौ दिव्य रूपों की पूजा करते हैं. इस साल यह 3 अक्टूबर 2024 को शुरू हुआ और 12 अक्तूबर को समाप्त होगा. हालांकि, लोग इस शुभ त्यौहार को कई तरीकों से मनाते हैं जैसे-कई लोग इस दौरान 9 दिनों तक उपवास करते हैं. उपवास के दौरान लोग अनाज खाने से परहेज करते हैं. इसकी जगह फल और जूस पीते हैं.

  


यह आपके स्वास्थ्य या धार्मिक या नैतिक उद्देश्यों के लिए हो सकता है. लेकिन आपके उपवास का कारण चाहे जो भी हो. उपवास रखने वाले लोगों द्वारा बताई जाने वाली एक आम समस्या एसिडिटी है. हमने एक विशेषज्ञ से पूछा कि क्या दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और लक्षणों को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है.


1. शरीर डिटॉक्स होता है


उपवास करने से शरीर नैचुरल तरीके से डिटॉक्स होता है. जब हम खाने से 10 दिन तक परहेज करते हैं तो शरीर अपने आप डिटॉक्स होने लगता है. इससे लिवर, किडनी और शरीर के दूसरे ऑर्गन भी नैचुरल तरीके से साफ होते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक उपवास ऑटोफैगी को बढ़ावा देता है. यह एक ऐसा प्रोसेस जिसमें शरीर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को खत्म करता है और स्वस्थ कोशिकाओं को फिर से बनाता है, जो पूरे शरीर के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है. 


2. बेहतर मेटाबॉलिज्म


उपवास से चयापचय को बढ़ावा मिलता है. जब आप उपवास करते हैं, तो आपका शरीर एनर्जी के लिए ग्लूकोज का इस्तेमाल करने के बजाय फैट जलाने लगता है, जिससे चयापचय बहुत अच्छे से फंक्शन करता है. शोध बताते हैं कि रुक-रुक कर उपवास करने से इंसुलिन  में सुधार हो सकता है, जिससे शरीर के ब्लड में शुगर लेवल ठीक से काम करता है.


3. वजन घटाना और चर्बी घटाना


 उपवास कैलोरी की मात्रा को सीमित करता है, इसलिए यह नैचुरल तरीके से वजन घटाने में सहायक हो सकता है. रिसर्च के अनुसार, रुक-रुक कर उपवास करने से मांसपेशियों के द्रव्यमान से समझौता किए बिना शरीर के वजन और शरीर की चर्बी में कमी आ सकती है. नवरात्रि का उपवास, जब सही तरीके से किया जाता है, तो आपको उन अतिरिक्त किलो को कम करने और स्वस्थ तरीके से वसा कम करने में मदद कर सकता है.


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4. मेंटल हेल्थ रहता है अच्छा


उपवास से सिर्फ़ शरीर को ही लाभ नहीं होता. यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है. अध्ययनों में पाया गया है कि रुक-रुक कर उपवास करने से संज्ञानात्मक कार्य, याददाश्त और मनोदशा में सुधार हो सकता है. फ्रंटियर्स इन एजिंग न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि उपवास करने से मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफ़िक कारक (BDNF) का उत्पादन बढ़ता है, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और अल्जाइमर जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों से बचा सकता है.


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5. सूजन में कमी


क्रोनिक सूजन कई बीमारियों से जुड़ी है, जिसमें हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर शामिल हैं. उपवास शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है. एक अध्ययन में पाया गया कि रुक-रुक कर उपवास करने से सूजन के मार्करों का स्तर कम हो जाता है, जिससे ऑक्सीडेटिव तनाव और क्रोनिक सूजन में कमी आती है.


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