खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण इन दिनों मोटापा, हाई बीपी और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है. यह बीमारी जिस तरीके से बढ़ रही है वह दिन दूर नहीं जब यह महामारी का रूप ले लेगी. मोटापा एक खतरनाक स्थिति है जो टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक और कुछ कैंसर सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है.
मोटापा दिल की विफलता के जोखिम को भी बढ़ा सकता है, भले ही उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे अन्य कारक मौजूद न हों.वहीं टाइप 2 मधुमेह तब होता है जब रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक होता है. टाइप 2 मधुमेह वाले लगभग 90% लोग अधिक वजन वाले या मोटे होते हैं. मोटापा के कारण और भी दूसरी बीमारी का जोखिम बढ़ता है. चीनी खाने से दिल से जुड़ी गंभीर बीमारी का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की सिफारिश है कि महिलाएं प्रतिदिन 6 चम्मच (24 ग्राम) से अधिक अतिरिक्त चीनी का सेवन न करें, और पुरुष 9 चम्मच (36 ग्राम) से अधिक चीनी का सेवन न करें.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इन दिनों लाइफस्टाइल से जुड़ी कई सारी बीमारी हो रही है. मौतों का अनुपात दिन पर दिन बढ़ रहा है. 1990 में 37 प्रतिशत से बढ़कर साल 2016 में 61.8 प्रतिशत हो गया है. वहीं हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से एक रिपोर्ट पेश कि गई. जिसमें डायबिटीज, कैंसर और सांस से संबंधित बीमारियों से होने वाली मौत के बारे में चर्चा की है.
डायबिटीज के करीब 50-70 प्रतिशत मरीज हाइपरटेंशन (hypertension) यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान हैं. जो गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण बन सकती है. इसकी वजह से किडनी से जुड़ी बीमारियां (Kidney Disease), कार्डियोवैस्कुलर डिजिज (Cardiovascular Disease) और नर्व डैमेज (Nerve Damage) जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
डायबिटीज में बीपी क्यों बढ़ जाता है
डॉक्टर के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजों में हाइपरटेंशन का खतरा बढ़ने की कई वजह हो सकती है. चूंकि हाई बीपी और डायबिटीज दोनों ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां है. इसलिए एक्सरसाइज न करने, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल, स्मोकिंग, शराब का सेवन और कुछ अनुवांशिक कारण की वजह से डायबिटीज और हाइपरटेंशन का खतरा साथ-साथ चल सकता है.
डायबिटीज में हाइपरटेंशन बढ़ने से खतरा
इंसुलिन रेजिस्टेंस
कुछ बायोकेमिकल कंडीशन में डायबिटीज होने पर हाइपरटेंशन का रिस्क बढ़ जाता है. ऐसे में इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है, जो टाइप 2 डायबिटीज में देखने को मिलता है. इंसुलिन रेजिस्टेंस से शरीर इंसुलिन हार्मोन्स के प्रति सही तरह से प्रतिक्रिया नहीं करता और ब्लड में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है. शरीर में ज्यादा नमक का जमना और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल में भी इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है. इससे नसें हार्ड हो जाती हैं और बीपी बढ़ जाती है.
दिल से जुड़ी नसों पर असर
डायबिटीज में हाइपरटेंशन की वजह से अंदरूनी नुकसान भी हो सकता है. ब्लड में ग्लूकोज लेवल बढ़ने से ब्लड वेसल्स, नसों और किडनियों को नुकसान पहुंचने लगता है. इसकी वजह से नसों में सूजन आने लगती है और वे संकरी होने लगती हैं. जिससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है. जो हाई बीपी के साथ हार्ट डिजीज के खतरे के भी बढ़ा सकता है. डायबिटीज में सिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम भी भी उत्तेजित हो सकता है. इससे बॉडी में हार्मोन्स के लेवल में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, जो हाइपरटेंशन का कारण बन सकती है.
हाइपरटेंशन से बचने क्या करना चाहिए
मोटापा कम करें, हेल्दी वेट मेंटेन रखें
नमक का सेवन कम करें
पोटैशियम से भरपूर आहार लें
हर दिन एक्सरसाइज करें
समय पर दवाई लेना चाहिए
सिगरेट और शराब से दूरी बनाएं
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रोजाना 6-7 घंटे की पूरी नीद लें. दिन में भी आराम करें.
स्ट्रेस को बढ़ने न दें
नियमित तौर पर ब्लड शुगर और बीपी लेवल चेक करते रहें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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