न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर से होने वाली मौतें 25 सालों में 36% बढ़ीं
लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक अल्जाइमर, पार्किंसन, हार्ट डिजीज, मिर्गी जैसी न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौत का आंकड़ा पिछले 25 साल में 36% बढ़ गया है.
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मास्को: लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक अल्जाइमर, पार्किंसन, हार्ट डिजीज, मिर्गी जैसी न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौत का आंकड़ा पिछले 25 साल में 36% बढ़ गया है.
मौत और विकलांगता का प्रमुख कारण- रूस में नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर वैसिली व्लासोव ने कहा कि न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर आज दुनिया में मौत और विकलांगता का प्रमुख कारण है.
न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर और बीमारियां- सबसे अधिक न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर में तनाव और सिरदर्द के करीब 150 करोड़ मामले, माइग्रेन के करीब 100 करोड़ मामले, ज्यादा दवाओं की वजह से होने वाले सिरदर्द के करीब 6 करोड़ और अल्जाइमर्स बीमारी और अन्य बीमारियों के करीब 4.6 करोड़ हैं.
न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर से मौत- 1999 से 2015 के बीच न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर की वजह से होने वाली मौत का आंकड़ा 36.7 फीसदी बढ़ा है और डीएएलवाई का आंकड़ा 7.4 फीसदी जबकि विकलांगता से अभ्यस्त जीवन का आंकड़ा 7.% प्रतिशत बढ़ा है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर के बढ़ने की एक बड़ी वजह ज्यादा जीवन प्रत्याशा है.व्लास्सोव ने कहा कि लोग ज्यादा जीते हैं और उसी के अनुरूप कई दशक पहले के मुकाबले डिमेन्सिया के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं. एक अन्य कारण बढ़ती जनसंख्या है. लोग ज्यादा होंगे तो बीमारियों भी ज्यादा दर्ज होंगी.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.
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