नई दिल्लीः 'सेल्फी' लेना आजकल के दौर में बेहद पॉपुलर और आम बात है. टीएनजर्स, बच्चों से लेकर युवाओं के लिए सेल्फी लेना जैसे शौक नहीं उनकी जिंदगी की जरूरत बनता जा रहा है. हालांकि आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है कि विशेषज्ञ यह चेतावनी दे रहे हैं कि सेल्फी लेना कुछ लोगों के लिए मिर्गी के दौरे पड़ने की वजह भी हो सकता है.


ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया जहां एक टीनएजर ने खुद की एक ब्राइट सेल्फी ली और उसके दिमाग में मिर्गी के दौरों जैसी एक्टिविटी को दर्ज किया गया. कैनेडियन डॉक्टरों ने इस मामले की जांच में पाया कि उस टीनएजर पर ऐसा असर इसलिए हुआ क्योंकि वो इस तरह की तस्वीरों के लिए फोटो सेंसिटिव थी और यही उसके दौरे के पीछे एक बड़ी वजह हो सकती है.


हाल ही में हुई एक केस स्टडी के मुताबिक जो लोग फोटो सेंसिटिविटी मिरगी से पीड़ित होते हैं उन्हें ब्राइट फ्लैश की वजह से दिक्कत हो सकती है और वो 'सेल्फी-एपिलेप्सी' का शिकार हो सकते हैं. सेल्फी के खिलाफ ये बात हालिया रिसर्च से सामने आई है जबकि पहले एक्सपर्ट्स का मानना था कि सेल्फी से होने वाले फोन रिडेएशन झुर्रियों का कारण भी हो सकता है.


ये रिपोर्ट कनाडा के डलहौसी यूनिवर्सिटी में पीडियाट्रिक डॉक्टरों की रिपोर्ट के साथ रखी गई थी और मेडिकल जरनल में भी प्रकाशित हुई थी. जब डॉक्टर्स उस लड़की के मिरगी के दौरे की वजह जानने की कोशिश कर रहे थे, उसी दौरान उसके दिमाग में पैदा हुई इस समस्या का पता लगाया गया. डॉक्टर्स ने लैब में उसका ईईजी (इलेक्ट्रॉनसेफालोग्राम) किया.


डॉक्टर्स ने पाया कि जब उस लड़की ने एक अंधेरे कमरे में फ्लैश के साथ सेल्फी ली तो उसके दिमाग की तरंगों में असामान्य नुकीली तरंगे (स्पाइक्स) जैसी पाई गईं. उसने सेल्फी के दौरान रेड आई इफेक्ट को भी कम किया था. इन्हीं स्पाइक्स को पहचानकर डॉक्टर्स ने डायग्नोस किया कि उस लड़की को सेल्फी के प्रति फोटो-सेंसिटिविटी रेस्पॉन्स की दिक्कत है.


मिर्गी के एक प्रकार को फोटोसेंसिटिविटी एप्लेप्सी कहा जाता है लेकिन ये मिर्गी के कुल केस का सिर्फ 3 फीसदी है और इसके बारे में लोग ज्यादा जानते नहीं हैं. इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों को फ्लैश लाइट, प्राकृतिक रोशनी और यहां तक कि विजुएल पैटर्न से भी दौरे पड़ सकते हैं. ये खासतौर पर बच्चों, टीनएजर्स में पाया जाता है और जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है ये परेशानी कम होती जाती है. हालांकि इसके बारे में ये भी कहा जा रहा है कि चूंकि अभी सिर्फ एक केस के आधार पर ये कहा गया है तो इस मामले पर और रिसर्च और स्टडी करने की जरूरत है.


एप्लेप्सी (मिर्गी) क्या है?


मिर्गी के बारे में कई आम गलत धारणाएं हैं. लोग अक्सर इसे एक मानसिक विकार के रूप में देखते हैं जबकि वास्तव में, यह एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो व्यक्ति की रोजाना की मानसिक क्षमताओं पर असर नहीं डालती है. मस्तिष्क की अत्यधिक जटिल इलेक्ट्रो-रासायनिक गतिविधि में अचानक रुकावट से मरीजों का दौरा पड़ने लगा है. यह किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है. हालांकि 20 साल की उम्र से पहले और 60 वर्ष की उम्र के बाद ही अक्सर इसकी पहचान हो पाती है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों को इसके दायरे में आने की ज्यादा संभावना है.