21 महीने के बच्चे की रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन, देश का पहला ऐसा मामला
राजधानी के एक अस्पताल में एक 21 महीने के के बच्चे की रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन किया गया है
नयी दिल्ली: राजधानी के एक अस्पताल में एक 21 महीने के के बच्चे की रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन किया गया है और डॉक्टरों का दावा है कि टीबी इंफेक्शन की वजह से रीढ़ की हड्डी में आई विकृति को समाप्त करने के लिए इतने छोटे बच्चे की सर्जरी का भारत में यह पहला मामला है.
वसंत कुंज स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के डॉक्टरों ने इस सर्जरी में स्पाइनल डिफोर्मिटी करेक्शन करके कई चुनौतियों के बावजूद रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन को 110 अंश से 40 अंश तक कम करने में सफलता हासिल की.
इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर में स्पाइनल सर्जरी विशेषज्ञ डॉ गुरुराज संगोनदीमथ ने बताया कि अप्रैल में जब बच्चा उनके पास आया तो उसके पैरों में कमजोरी की वजह से वह ठीक से चल नहीं सकता था और दर्द से पीड़ित था. बच्चे को क्यूफोटिक विकृति थी जिसमें झुकाव की वजह से रीढ़ की हड्डी बाहर की ओर होने लगी थी.
उन्होंने बताया कि समर नाम का यह बच्चा इस विकृति के साथ ही रीढ़ की टीबी से भी पीड़ित था. एमआरआई में पता चला कि टीबी की वजह से हड्डियों को नुकसान हुआ था.
उन्होंने कहा कि स्थिति चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि इतने छोटे बच्चे की इस तरह की पहले कोई सर्जरी नहीं की गयी. उसकी हड्डियों को जोड़ने के लिए इतने छोटे स्क्रू लगाना भी चुनौतीपूर्ण था.
समर अब पूरी तरह स्वस्थ है. अभी कुछ साल तक उस पर नियमित निगरानी रखनी होगी और हड्डियों के जुड़ जाने तक उसे डॉक्टरों के संपर्क में रहना होगा.
डॉ गुरुराज ने बताया कि बच्चे का टीबी का इलाज अलग से चल रहा है जिससे उसका इंफेक्शन समाप्त हो जाएगा.
इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के चिकित्सा निदेशक डॉ एच एस छाबड़ा ने बताया कि बच्चे की उम्र कम होने के बावजूद सर्जरी के लिए इंतजार नहीं किया जा सकता था क्योंकि देर होने पर उसके पैर पूरी तरह कमजोर हो सकते थे.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस तरह के मामलों में जहां टीबी की वजह से हड्डी में विकृति हो रही है और समय पर टीबी के इंफेक्शन का पता चल जाए तो सर्जरी की भी जरूरत नहीं पड़ती और टीबी का उपचार करके इस डिफॉर्मिटी को खत्म किया जा सकता है लेकिन मौजूदा मामले में रीढ़ की हड्डी प्रभावित हो चुकी थी और उसमें टेढ़ापन आ गया था.
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