डेंगू के मच्छर से मुकाबले के लिए वैज्ञानिकों ने अपनाया जैनेटिक तरीका
डेंगू वायरस से मुकाबले के लिए मच्छर विकसित किया गया है. जेनेटिक तरीके से विकसित मच्छर डेंगू वायरस को दूर भगाने का काम करेंगे.
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में डेंगू के मच्छर से मुकाबला आसान हो जाएगा. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ताईवान के वैज्ञानिकों ने अपनी नई रिसर्च में इसकी उम्मीद जताई है. उन्होंने जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए एक खास किस्म का मच्छर विकसित किया. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर उसमें एक खास तरह की एंटी बॉडी बनाने की क्षमता विकसित की गई. विशेषज्ञों के मुताबिक एंटी बॉडी के कारण ऐसे मच्छरों को इस योग्य बनाया गया जिससे डेंगू वायरस ना तो उन्हें प्रभावित कर सके और ना ही उनको संक्रमित कर अन्य जगह फैल सके.
डेंगू से मुकाबले के लिए मच्छरों का इस्तेमाल
PLOS Pathoens के हालिया ऑनलाइन रिसर्च एडिशन में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि भविष्य में जैनेटिक प्रयुक्त मच्छरों की बड़ी तादाद तैयार करना होगा. साथ ही इसका इस्तेमाल कर डेंगू वायरस और उससे पैदा होनेवाली बीमारी के बढ़ने को रोका जा सके. वैज्ञानिकों ने दावा किया कि ऐसे मच्छर डेंगू के वायरस से प्रभावित नहीं हो सकते. जिसके बाद डेंगू से जुड़ी हुई बीमारियों पर काबू पाने की संभावना बढ़ गयी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) के मुताबिक डेंगू वायरस से दुनिया भर में हर साल 39 करोड़ लोग पीड़ित होते हैं. उनमें से 9-60 लाख लोगों को ही अस्पताल ले जाया जाता है जहां डेंगू की पहचान के बाद इलाज की जाती है. उनमें से करीब 10 लाख लोग बीमारी का शिकार बन जाते हैं. जेनेटिग इंजीनियरिंग के जरिए डेंगू वायरस से सुरक्षित मच्छरों की तैयारी इस लिहाज से भी अहम है कि अगर ये शोध सफल रहा तो उसके बाद चिकनगुनिया, जीका वायरस के खिलाफ मच्छरों में प्रतिरक्षा प्रणाली पैदा की जा सकेगी. इस तरह बीमारी फैलाने वाले मच्छरों को ही डेंगू बुखार के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकेगा.
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