आजकल के बच्चे हर छोटी-छोटी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा करने लगते हैं. यह ऐसी बात नहीं है कि यह किसी एक घर की कहानी बल्कि आजकल यह घर-घर की कहानी है. आजकल के बच्चे इतने ज्यादा जिद्दी हो गए हैं कि अगर आप उनके हिसाब से नहीं करेंगे तो वह तुरंत गुस्सा हो जाएंगे. आप उन्हें सुबह स्कूल के लिए उठाओं या खाने के वक्त डाइनिंग टेबल पर बैठने के लिए बोल दो हर वक्त वह तुरंत रिएक्ट करते हैं. 


क्या कहती है रिपोर्ट


JAMA Pediatrics में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक आजकल छोटे-छोटे 2 साल या 3.5 साल के बच्चे फोन, टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं. इसके इस्तेमाल करने के कारण उन्हें अभी से आसपास के लोगों से कटकर फोन या टैब पर वक्त बिताना ज्यादा पसंद होता है. इसके अलावा, जो बच्चे 4.5 साल की उम्र में अधिक गुस्सा और हताशा में रहते थे, उनमें एक साल  बाद (5.5 वर्ष की उम्र में) अधिक टैबलेट का इस्तेमाल करने की संभावना अधिक थी. इस रिपोर्ट के पब्लिशर ने बोला इस उम्र में ज्यादा फोन का इस्तेमाल करना दिमाग के लिए सही नहीं है. 


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कनाडा के एक रिसर्च के मुताबिक  नोवा स्कोटिया के प्री स्कूल के बच्चों के माता-पिता ने खुद अपने बच्चों के ऊपर सर्वे किया. इस सर्वे में बच्चों के माता-पिता ने भाग लिया है. इस सर्वे में 3.5, 4.5 और 5.5 साल के बच्चे थे. इस रिपोर्ट में उन्होंने बच्चों को टैबलेट का इस्तेमाल करने दिया है. जिसके बाद देखा गया कि बच्चों में गुस्सा काफी ज्यादा बढ गया था. यह रिसर्च कोविड के शुरुआती साल में किए गए थे. यह बात सही है कि जो बच्चे ज्यादा फोन पर अपना वक्त बिताते हैं उन्हें अकेला रहना काफी ज्यादा पसंद होता है. 


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टैबलेट का उपयोग क्रोध के विस्फोट से कैसे संबंधित हो सकता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि 2 से 5 साल के बच्चों में, जिनके माता-पिता अक्सर अपनी नेगेटिव भावनाओं को प्रबंधित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं, उनमें एक साल बाद खराब क्रोध और हताशा प्रबंधन दिखाने की संभावना अधिक होती है. ये बच्चे स्वचालित प्रतिक्रिया के बजाय जानबूझकर प्रतिक्रिया करने का निर्णय लेने में भी कम सक्षम थे. अगर कोई बच्चा बार-बार फोन लेने की जिद्द कर रहा है तो उसे बिल्कुल फोन न दें बल्कि उसका ध्यान हटाने के लिए कुछ और तरकीब अपना सकते हैं.  उन्हें शांत करने के प्रयास में टैबलेट, कंप्यूटर या स्मार्टफोन दिया जाता है, तो वे इन भावनाओं को खुद से प्रबंधित करना नहीं सीखेंगे. इससे बचपन और वयस्कता में बाद में समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें क्रोध प्रबंधन भी शामिल है.


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