रेड लाइट थरेपी से डायबिटीज हो सकता है कंट्रोल, रिसर्च में सामने आई नई जानकारी
हाल ही में एक रिसर्च में पाया गया है कि लाल रंग की रोशनी से शरीर के अंदर एनर्जी बढ़ती है. इससे खून में शुगर कम होने लगती है. यानी लाल बत्ती से डायबिटीज पर कंट्रोल किया जा सकता है.आइए जानते हैं कैसे?
आज के समय में डायबिटीज एक बड़ी समस्या बन गई है जो दुनिया भर में बहुत तेजी से फैल रही है. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें हमारे खून में शुगर की मात्रा ज्यादा हो जाती है क्योंकि हमारा शरीर ठीक से इंसुलिन नहीं बना पाता या उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता. इसके पीछे वजह हो सकती है हमारी लाइफस्टाइल और खाने-पीने की गलत आदतें. लेकिन हाल ही में एक नए शोध से पता चला है कि डायबिटीज के मरीजों के लिए अब एक नई उम्मीद की किरण जगी है, और वह है रेड लाइट थेरेपी.
जानें क्या है रेड लाइट थेरेपी
रेड लाइट थेरेपी एक खास तरह की चिकित्सा है जिसमें लाल रोशनी का इस्तेमाल किया जाता है. इस थेरेपी में, शरीर के विशेष हिस्सों पर लाल रोशनी डाली जाती है. यह रोशनी त्वचा की गहराई तक पहुंचती है और वहां के कोशिकाओं को सक्रिय करती है. इससे शरीर के अंदर ऊर्जा उत्पादन बढ़ता है, जिससे कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं.
जानें क्या कहता है रिसर्च
हाल ही में "जर्नल ऑफ बायोफोटोनिक्स" में प्रकाशित एक शोध ने बताया गया है कि 670 नैनोमीटर की लाल रोशनी माइटोकॉन्ड्रिया, यानी हमारी कोशिकाओं के ऊर्जा केंद्र, में ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देती है. इससे शरीर में ग्लूकोज की खपत बढ़ती है, और खासकर जब हम कुछ मीठा खाते हैं तो रक्त में शर्करा का स्तर 27.7% तक कम हो जाता है, और शर्करा के स्तर में उछाल भी 7.5% कम होता है. "मेडिकल एक्सप्रेस" के अनुसार, यह शोध बताता है कि ब्लू लाइट के लंबे समय तक संपर्क में रहने से रक्त शर्करा के संतुलन में गड़बड़ी हो सकती है, जो एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन सकती है.
रिसर्च में खुलासा
इस अध्ययन में, 30 स्वस्थ व्यक्तियों को भर्ती किया गया और उन्हें दो समूहों में बांटा गया. एक समूह को 670 नैनोमीटर की लाल रोशनी के संपर्क में रखा गया और दूसरे समूह को नहीं. जब इन लोगों ने ग्लूकोज का सेवन किया, तो लाल रोशनी वाले समूह में लोगों का रक्त शर्करा स्तर कम पाया गया.
कैंसर उपचार में भी नई संभावनाएं
रिसर्च कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि यह तकनीक न केवल रक्त शर्करा को कम करने में मददगार है, बल्कि यह कैंसर उपचार में भी नई संभावनाएं खोल सकती है. इसके अलावा, यह तकनीक पार्किंसन और डायबिटीज रेटिनोपैथी जैसी बीमारियों के लक्षणों को कम करने में भी मददगार पाई गई है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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