नई दिल्लीः क्या आप भी अपने और अपने बच्चों के कान साफ करने के लिए ईयरबड का इस्तेमाल करते हैं? अगर हां, तो आपको तुरंत इसका इस्तेमाल करना छोड़ देना चाहिए. ये हम नहीं कह रहे बल्कि हालिया रिसर्च में ये बात सामने आई है.
क्या कहती है रिसर्च-
1990 से 2010 के बीच 263,000 से भी ज्यादा बच्चे यूएस के इमरजेंसी रूम में आए ईयर क्लीनिंग इंजरी के शिकार थे. यानि रोजाना 34 बच्चे यूएस में ईयर-क्लीनिंग इंजरी का शिकार होते हैं.
कैसे की गई रिसर्च-
ओहियो के नेशनवाइड चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं द्वारा पूरे देश में 100 हॉस्पिटल्स के इमरजेंसी डिपार्टमेंट के नेशनल इलेक्ट्रॉनिक इंजरी सर्विलेस सिस्टम के आंकड़ों पर रिसर्च की गई. इस ईयर इंजरी में कॉटन स्वैब, कॉटन टिप्ड स्वैब और क्यू टिप्स का इस्तेमाल सबसे अधिक हुआ था.
रिसर्च के नतीजे-
सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली कॉटन-स्वैब ईयर इंजरी में ईयर र्डम्स को रगड़ने के बाद कान से खूब आना शामिल है. दूसरी बड़ी शिकायत आयरन मोंगरी डिजीज यानी कान में कुछ फंसा होना जैसा महसूस होना थी. दो साल के बच्चों में ये दो तरह की इंजरी सबसे ज्यादा देखी गई.
तीन चौथाई इंजरी ईयर क्लीनिंग के दौरान हुईं. बहुत से मामलों में बच्चों ने खुद को ही कान साफ करने के दौरान हर्ट किया. दरअसल, बच्चे खुद से कान साफ करने के दौरान घायल हो गए. 7% ईयर इंजरी भाई-बहनों के कारण हुई.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सचमुच कान की सफाई हाइजिन का पार्ट होना चाहिए? कम ही लोग जानते हैं कि ईयर कैनल्स खुद ही कान की सफाई करते हैं. नेशनवाइड चिल्ड्रंस हॉस्पिटल एंड इस स्टडी के लीड ऑर्थर क्रिस जटाना का कहना है कि कॉटन और कॉटन बड से कान की क्लीनिंग करने से ना सिर्फ ईयर ड्रम की वैक्स हट जाती है बल्कि ईयर ड्रम को भी चोट पहुंचती है. ऐसे में कान की सफाई के लिए ईयरबड, कॉटन बड, कॉटन या किसी भी नुकीली चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.