लंदन: बहुत ज्‍यादा शोरगुल आपके काम को इफेक्‍ट कर सकता है. दरअसल,  ये ना सिर्फ आपके काम को डिस्‍टर्ब करता  है बल्कि माइंड को भी डायवर्ट करता है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि एक  रिसर्च में ये बात सामने आई है.

किसने की ये रिसर्च

फिनलैंड के हेलसिकी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि साउंड के प्रति सेंसिविटी ऑडिटरी स्टिम्यलस (उद्दीपन) के इनकोडिंग में चेंजेस से जुड़े हुए हैं. यह आवाजों में अंतर करने का काम करते हैं.

अधिक शोर में लोग करते हैं कम रिस्‍पांस

लोगों की साउंड सेंसिविटी, ऑडिटरी सिस्‍टम में आने वाली नई आवाजों पर कम रिस्‍पांस करती हैं, खासकर तब जब नई आवाज बाकी से ज्यादा शोरगुल वाली हो. दरअसल, सेंसिटिव लोगों के लिए कई तरह की आवाजों के बदलाव को समझ पाना ज्यादा मुश्किल होता है. उनकी ऑडिटरी सिस्‍टम (श्रवण प्रणाली) ज्यादा शोर से खुद को बचाने के रिस्‍पांस में कम हो जाती है.

क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

हेलसिंकी यूनिवर्सिटी की शोधछात्रा और प्रमुख लेखक मरीना क्लिउचको ने कहा कि शोध से साउंड सेंसिविटी को सिर्फ नेगेटिव इमोशंस से ज्यादा समझने में मदद मिली है. इससे हमें एन्‍वायरमेंट सेंसिविटी के मनोविज्ञान की नई जानकारी मिली है."

क्‍या कहते हैं नतीजे

निष्कर्षो से पता चलता है कि वे लोग जो ज्यादा साउंड के प्रति सेंसेटिव हैं उनमें अनवान्‍टेड साउंड्स से नेगेटिव एक्‍सपीरिएंस करने की ज्यादा आशंका है. इसकी सेंसिविटी का उनकी हेल्‍थ पर विपरीत इफेक्‍ट देखा गया.

शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई कि उनके काम से साउंड के प्रति सेंसिविटी को एक प्रमुख रूप में उजागर करने में मदद मिलेगी. इससे घर और वर्कप्‍लेस एन्‍वायरमेंट में साउंड कंट्रोल प्‍लानिंग को अपनाया जा सकेगा.

इस शोध को पत्रिका 'साइंसटिफिट रिपोर्ट' में पब्लिश किया गया है.