शराब नहीं पीते लेकिन फिर भी इस बीमारी के कारण सड़ रहा है करोड़ों लोगों का लिवर, रिपोर्ट में खुलासा
लाइफस्टाइल से जुड़ी यह बीमारी पूरी दुनिया की आबादी के 25 से 30 प्रतिशत आबादी प्रभावित है. भारत में इस बीमारी का प्रसार दिन पर दिन फैल रहा है. 40 प्रतिशत लोग एनएएफएलडी से प्रभावित है.
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दुनियाभर में लाखों लोग खराब लाइफस्टाइल की वजह से कई तरह की पेट की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि इस मॉर्डन लाइफस्टाइल और खराब खानपान की वजह से आज के समय में कई ऐसे लोग हैं जो बिल्कुल शराब नहीं पीते हैं उन्हें भी लिवर और पेट की बीमारी से पीड़ित हैं. लाइफस्टाइल से जुड़ी यह बीमारी पूरी दुनिया की 25 से 30 प्रतिशत आबादी को अपने गिरफ्त में की हुई है. वहीं भारत में भी इस बीमारी का प्रसार दिन पर दिन फैल रहा है. हाल ही में रिलीज में हुए एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 40 प्रतिशत लोग एनएएफएलडी बीमारी से पीड़ित हैं.
एनएएफएलडी क्या है?
एनएएफएलडी का मतलब है कि खराब लाइफस्टाइल और खराब खानपान की वजह से लिवर में काफी ज्यादा मात्रा में फैट जमा हो जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यदि बीमारी को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता है. तो इससे लिवर को भारी क्षति या लीवर सिरोसिस हो सकता है. साफ शब्दों में कहें कि इस बीमारी में लिवर सड़ने लगता है.
लिवर खराब होने के लक्षण हैं पीलिया (आंखों और त्वचा का रंग पीला पड़ जाना), त्वचा में खुजली, पेट के अंदर पानी भर जाना. पेट में सूजन, पैरों में सूजन और एनोरेक्सिया, जो फैटी लीवर के परिणाम हैं. इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गैर-अल्कोहल फैटी लिवर की बीमारी काफी तेजी से बढ़ रही है. 'नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन' में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक 2022 तक भारत में लगभग तीन वयस्कों या बच्चों में से एक को एनएएफएलडी है.
मेटाबॉलिक-एसोसिएटेड फैटी लिवर की बीमारी (या एमिएएफएलडी) के रूप में भी जाना जाता है. शिकागो में एंडोक्राइन सोसाइटी की वार्षिक बैठक ईएनडीओ 2023 में प्रस्तुत एक हालिया रिसर्च के मुताबिक फैटी लिवर के कारण कई तरह की बीमारियां जन्म लेती है. जैसे- दिल की बीमारी, टाइप 2 मधुमेह और ए के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है. लिवर कैंसर की बीमारी आम है. रिसर्च से पता चला है कि फैटी लीवर का प्रमुख कारण अधिक खाना है. जब लिवर नॉर्मल तरीके से फैट नहीं पचा पाता है, तो वह लिवर में जमा होने लगता है. जिसके कारण मोटापा, मधुमेह और ट्राइग्लिसराइड्स की उच्च मात्रा भी फैटी लीवर रोग को ट्रिगर करती है.
फैटी लिवर रोग से खुद को कैसे बचाएं?
फैटी लिवर से बचना है तो आपको पहले कुछ सुधार करना होगा. तले हुए और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाने वाली चीजों को सीमित मात्रा में खाना चाहिए. यदि आपके दैनिक आहार में ऐसे तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक होता है जिनमें अतिरिक्त तेल होता है या कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है, तो इससे बचें.
विशेषज्ञ ने कहा कि स्वस्थ लिवर के लिए सब्जियों और फलों से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए. ज्यादा फाइबर खाने से लिवर संबंधी बीमारी का खतरा कम रहता है. क्योंकि यह स्वस्थ आंत माइक्रोबायोटा को उत्तेजित करता है और कम कैलोरी सेवन को बढ़ावा देता है. बिना चीनी वाली चाय या कॉफी पिएं. इसके अलावा साल 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, बिना चीनी की रोजाना एक कप ब्लैक कॉफी आपके लिवर को एनएएफएलडी से बचा सकती है. कैफीन असामान्य लिवर एंजाइमों की संख्या को कम करता है जिससे फैटी लिवर बीमारी का खतरा बढ़ता है.
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