Ayurvedic Disadvantage: एलोपैथी ही नहीं, आयुर्वेदिक दवाओं का भी ज्यादा इस्तेमाल है खतरनाक! होने लगती हैं ये दिक्कतें
अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो ज्यादातर ये सोचकर आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करते हैं कि इससे कोई नुकसान नहीं होता, तो आपको सावधान होने की जरूरत है.
आयुर्वेद पर लोगों का भरोसा आज भी कायम है. लेकिन आज भी आयुर्वेद और एलोपैथी में कौन ज्यादा बेहतर है इसकी लड़ाई है. आपको बता दें कि आयुर्वेद और एलोपैथी दो अलग प्रमुख ट्रीटमेंट सिस्टम हैं, जो अलग और अपने तरीकों से असरदार हैं. आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें प्राकृतिक औषधि, आहार, योग, प्राणायाम और मनोविज्ञान का इस्तेमाल किया जाता है.
आयुर्वेद की दृष्टि से बीमारी को जड़ से ठीक करके शरीर का संतुलन स्थापित किया जाता है. वहीं, एलोपैथी की बात करें तो यह विज्ञान के आधार पर आधुनिक चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें वैज्ञानिक आज के नए टूल्स का उपयोग करके बीमारियों के कारणों का पता लगाते हैं और दवाइयों का इस्तेमाल करके बीमारी को ठीक करते हैं. आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों ही मरीजों की आवश्यकताओं के आधार पर महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.
क्या है आयुर्वेद?
आयुर्वेद दो शब्दों को मिलाकर बना है. आयु जो जीवन या दीर्घायु को दर्शाता है. वेद जिसका अर्थ है ज्ञान या विज्ञान. आयुर्वेद विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है. आयुर्वेद लगभग 3 हजार वर्ष पहले भारत में आया था. इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भी एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्वीकार किया गया है. आयुर्वेद के अनुसार, मानव शरीर चार मूल तत्वों- दोष, धातु, माला और अग्नि से बना है.
आयुर्वेद में शरीर के इन सभी मूलभूत तत्वों का बहुत महत्व है. इन्हें 'मूल सिद्धांत' या 'आयुर्वेदिक उपचार के मूल सिद्धांत' भी कहा जाता है. लेकिन आपको ये बात जान कर हैरानी हो सकती है कि सिर्फ एलोपैथी से ही नहीं बल्कि आयुर्वेद के भी ज्यादा इस्तेमाल से इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं. एक अध्ययन के मुताबिक आयुर्वेद हर्बल दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल से स्वास्थ्य खराब हो सकता है.
क्या कहता है नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन का आर्टिकल?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के आर्टिकल में इस साइड इफेक्ट का कारण मिलावट और कुछ इनहेरेंट टॉक्सिटी बताया गया है. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मकसद बीमारी को रोकना नहीं बल्कि बीमारी से बचाव करना है. हालांकि, कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की हाई डोज या इन्हें लंबे समय तक लेने से पेट में दर्द, दस्त, मतली, उल्टी, एलर्जी जैसे कई साइड इफेक्ट दिख सकते हैं.
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ.रेखा राधामणि ने बताया आयुर्वेद कितना सुरक्षित
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ.रेखा राधामणि ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है जिसमें उन्होनें आयुर्वेद के साइड इफेक्ट के बारे में बताया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि एलोपैथी की तरह आयुर्वेद हर्बल दवाएं भी बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के नहीं लेनी चाहिए. ऐसा करना सेहत के लिए हानीकारक हो सकता है. उन्होंने बताया कि सर्पगंधा जड़ी बूटी का इस्तेमाल जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है वह डिप्रेशन का कारण भी बन सकता है.
आयुर्वेदिक दवाईयां सुरक्षित है कि नहीं?
डॉ.राधामणि इसका जवाब हां और ना दोनों बताती हैं. उनका कहना है कि कुछ जड़ी-बूटियां हल्की होती हैं और कुछ जड़ी-बूटियां बहुत स्ट्रांग होती हैं. हल्की जड़ी-बूटियां सेहत के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं जबकी स्ट्रांग जड़ी-बूटियां हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होती. डॉ.राधामणि कहती हैं कि एलोपैथी की दवाओं की तरह आुयर्वेदिक दवाओं पर भी भारत में कड़े नियम होने चाहिए. ऐसी बहुत सी दवाएं हैं जो काउंटर पर आसानी से उपलब्ध हैं जिसको लोग खरीद कर बिना कुछ सोचे समझे सिर्फ आयुर्वेद के नाम पर खा रहे हैं. लेकिन बिना इसको जाने कि आयुर्वेदिक दवाईयां खाना आपके लिए सही है कि नही इसका सेवन ना करें.
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