नई दिल्लीः पचास साल की उम्र से पहले ही कोई व्यक्ति यदि अधिक वजन का शिकार हो जाता है तो पैंक्रियाटिक (अग्न्याशय) कैंसर से उसकी मौत का जोखिम काफी बढ़ जाता है. एक शोध में ये पाया गया है.


क्या कहते हैं शोधकर्ता-
शोधकर्ताओं ने कहा कि पैंक्रियाटिक कैंसर के मामले कम सामने आते हैं. कैंसर के सभी नए मामलों में से करीब तीन फीसदी मामले अग्न्याशय कैंसर के होते हैं.हालांकि, यह काफी जानलेवा किस्म का होता है. इसमें पिछले पांच साल में जीवित बचने की दर महज 8.5 फीसदी रही है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी में एपिडेमियोलॉजी रिसर्च के वरिष्ठ वैज्ञानिक निदेशक एरिक जे जैकब्स ने कहा कि वर्ष 2000 के बाद से ही पैंक्रियाटिक कैंसर के मामलों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती जा रही है.


कैसे की गई रिसर्च-
शोध टीम ने अमेरिका के 963,317 ऐसे वयस्कों से जुड़े डेटा का परीक्षण किया जिनका कैंसर का कोई इतिहास नहीं रहा. इन सभी लोगों ने शोध की शुरुआत के समय सिर्फ एक बार अपना वजन और अपनी लंबाई बताई. उस वक्त इनमें से कुछ लोग 30 साल के भी थे तो कुछ 70 या 80 साल के भी थे. शोधकर्ताओं ने ज्यादा वजन के संकेतक के तौर पर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की गणना की.


रिसर्च के नतीजे-
शोध में हिस्सा लेने वालों में से 8,354 की मौत पैंक्रियाटिक कैंसर से हो गई, लेकिन जोखिम में यह बढ़ोतरी उनमें देखी गई थी जिनके बीएमआई का आकलन शुरुआती आयु में किया गया था. जैकब्स ने कहा कि शोध के नतीजे संकेत देते हैं कि अत्यधिक वजन से पैंक्रियाटिक कैंसर की चपेट में आने का खतरा कई गुना बढ़ गया है.


ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.