नई दिल्ली: मुंबई में एक नए प्रकार की बीमारी फैल रही है जिसका नाम है मायोपिया. ये बीमारी 5 से 12 साल की उम्र वाले बच्चों को अपना शिकार बना रही है. इस बीमारी का मुख्य कारण है मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल. इसी की वजह से 10 में से 1 बच्चे को ये बीमारी हो रही है.


क्या होता है मायोपिया-
मायोपिया आंख से संबधित बीमारी है जिसकी वजह से दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं.


कैसे की गई रिसर्च-
जेजे हॉस्पिटल और राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए एक सर्वे में साउथ मुंबई के प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में 7.5 लाख छात्रों को शामिल किया गया और पाया गया कि 91,000 बच्चे मायोपिया से पीड़ित हैं.


केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित सर्व शिक्षा अभियान के तहत किए गए सर्वे में पाया गया कि आंखों की रोशनी की कमी से 71,000 पीडित थे जिसका कारण मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल था.


एक्सपर्ट क्या कहते हैं-
जे. जे. के डीन और आई स्पेशलिस्ट डॉ. टीपी लहाने का इस बारे में कहना था कि जिन बच्चों ने हर दिन मोबाइल फोन का उपयोग करने में छह से आठ घंटे का समय बिताया है उन बच्चों पर इस बीमारी का असर ज्यादा देखने को मिला. कुछ माता-पिता कहते हैं कि जब उनका बच्चा सिर्फ एक साल का था तब से ही उसने फोन के साथ खेलना शुरू कर दिया था. डॉ. का कहना है कि वर्तमान में मोबाइल फोन नए खिलौने बन गए हैं और ये बेहद खतरनाक है.


जेड हॉस्पिटल के ऑप्थल्मोलॉजी विभाग की डॉ. रागिनी पारेख ने कहा कि आंखों पर तनाव का कारण कंप्यूटर नहीं बल्कि मोबाइल फोन हैं. उनका कहना था कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को शांत करने या शोर ना मचाने के लिए उनके हाथ में मोबाइल दे देते हैं जो ठीक नहीं है.


डॉ. पारेख ने कहा कि जब एक व्यक्ति फोन का उपयोग करता है तब वे एक मिनट में पन्द्रह बार झुकता है और लगभग आधा शरीर नीचे की ओर झुका देता है जिससे आंखों में अत्यधिक प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि तीन साल के बच्चों के लिए मोबाइल फोन से रोज संपर्क में रहना खतरनाक साबित हो सकता है.


कोलाबा की एक क्लीनिक की सीनियर आई स्पेशलिस्ट केकी मेहता का कहना है कि मोबाइल फोन की वजह से छोटे बच्चों के साथ-साथ युवा भी मायोपिया से पीडित हैं.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.