(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Menopause के बाद 4 में से एक महिला को हो जाती है यह बीमारी, समय रहते लक्षण को पहचानें
हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि 4 में से 1 महिला मेनोपॉज के बाद इस बीमारी से पीड़ित हो जाती हैं. जानें इसके लक्षण और बचाव का तरीका.
महिलाओं की लाइफ काफी चैलेंजिंग होती है. उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर उन्हें अलग- अलग अनुभव का सामना करना पड़ता है. महिलाओं के मूड स्विंग होने के पीछे एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (जेएएचए) के जर्नल में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं की इरेगुलर हार्ट बिट या एट्रियल फाइब्रिलेशन (एएफआईबी) और मेनोपॉज के बीच सीधा संबंध है. एक सेहतमंद दिल में चार चैम्बर होते हैं. दो ऊपरी और दो निचले. यह चारों चैम्बर आपस में तालमेल बनाकर रखते हैं. लकिन ऊपर वाला चैम्बर नीचे वाले चैम्बर में तालमेल बैठाने में विफल हो जाता है तब इस कंडिशन को एएफआईबी कहते हैं. एएफआईबी दिल की धड़कन बढ़ाने और ब्लड सर्कुलेशन के फ्लो को कम कर देता है.
मोनोपॉज के बाद एएफआईबी बीमारी का शिकार हो जाती हैं महिलाएं
एएफआईबी के कई कारण हैं. यह एक जेनेटिक कारण हो सकता है. बुढ़ापे, मोटापा, मधुमेह, हाई बीपी, या बहुत ज्यादा स्ट्रेस, नींद की कमी मेनोपॉज के बाद महिलाओं को इन परेशानियों से जूझना पड़ता है. जिन महिलाओं को एएफआईबी की परेशानी नहीं है. उन्हें भी मेनोपॉज के बाद दिल की दिल की धड़कन बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है.
Jaha स्टडी
Jaha रिसर्च में 83,736 महिलाओं को शामिल किया गया जो मेनोपॉज से गुजर चुकी हैं. इस रिसर्च में 64 साल की उम्र वाली महिलाओं को शामिल किया गया. रिसर्चर इस रिसर्च को सफल बनाने के लिए लगभग 10 साल तक रिसर्च किया. ताकि वह सही अंजाम तक पहुंच सके. उन्हें देखा कि लगभग 24 हजार महिलाओं में मेनोपॉज के बाद एएफआईबी विकसित होने लगे.एएफआईबी के मरीज में नींद की कमी, स्ट्रेस देखा गया.
रिसर्च क्या कहता है?
हालांकि इस रिसर्च में बेहद दिलचस्प बात सामने आई है. जिसके बारे में विचार किया जाना बेहद जरूरी है. जैसे- मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं. शोधकर्ताओं ने केवल एक ही समय में महिलाओं में मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारकों का आकलन किया है. चूंकि आपकी उम्र जितनी अधिक होती है, आपके अनुभव उतने ही अधिक होते हैं, गंभीर भावनात्मक उथल-पुथल पैदा करने वाली घटनाएं महिलाओं के अध्ययन में शामिल होने से पहले ही घटित हो सकती हैं.
इस रिसर्च में भाग लेने वाली 90 प्रतिशत महिलाएं अमेरकिन थीं. जिसके कारण यह रिसर्च यह दावा नहीं कर सकती है कि यह हर महिला पर लागू होता है. साथ ही इस रिसर्च के परिणाम उन महिलाओं के लिए नहीं है जो अपनी मेनोपॉज से नहीं गुजरी है. लेकिन इस रिसर्च में यह बात तो स्पष्ट है कि स्ट्रेस, नींद की कमी की वजह से मेनोपॉज के बाद महिला एएफआईबी बीमारी से पीड़ित हो जाती हैं.
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