सभी महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान अलग-अलग तरह की शारीरिक परेशानियां उठानी पड़ती हैं. सबसे ज्यादा समस्या डिलीवरी के दौरान सीरियस ब्लीडिंग की होती है, जिसकी वजह से कई महिलाओं की मौत हो जाती है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान हर दो मिनट में एक महिला की मौत हो जाती है. 'ट्रेंड्स इन मेटरनल मोर्टेलिटी' के टाइटल वाली इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में दुनिया भर में प्रेग्नेंसी और डिलीवरी से जुड़ी जटिलताओं की वजह से 2,87,000 महिलाओं की मौत हो गई थी.


यह रिपोर्ट बताती है कि महिलाओ की मौत की वजहों में- सीरियस ब्लीडिंग, हाई ब्लड प्रेशर, प्रेग्नेंसी से जुड़े संक्रमण, अनसेफ अबॉर्शन के साथ-साथ एचआईवी, एड्स और मलेरिया आदि शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस ने एक बयान में कहा कि प्रेग्नेंसी सभी महिलाओं के लिए एक पॉजिटिव एक्सपीरियंस होना चाहिए. हालांकि आज भी ये दुनिया भर की लाखों महिलाओं के लिए एक डेंजरस एक्सपीरियंस है. इन महिलाओं में सबसे ज्यादा संख्या उनकी है, जिनकी हेल्थ फैसिलिटीज़ तक ठीक से पहुंच नहीं है या पहुंच है भी तो हाई क्वालिटी ट्रीटमेंट नहीं मिलता.


हेल्थ फैसिलिटी तक पहुंच सुनिश्चित करना जरूरी


उन्होंने बताया कि आंकड़ों से मालूम चलता है कि हर महिला और लड़की को बच्चे को जन्म देने के दौरान और बाद में जरूरी हेल्थ फैसिलिटीज़ मिलनी चाहिए. कम्युनिटी सेंटर्ड प्राइमरी हेल्थकेयर महिलाओं, बच्चों और किशोरियों की जरूरतों को पूरा कर सकती है. इसके अलावा, ये बच्चे के जन्म से पहले या बाद में, बच्चों के वैक्सीनेशन, न्यूट्रिशन और फैमिली प्लानिंग जैसी जरूरी हेल्थ सर्विस तक पहुंच को भी सक्षम बना सकती हैं.


कोविड-19 ने बढ़ाईं मुश्किलें


UNFPA के कार्यकारी निदेशक नटालिया कन्म ने कहा कि यह सच है कि इतनी सारी महिलाएं प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान विभिन्न परेशानियों की वजह से मर रही है. एक ही साल में 2,80,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं. कुछ परेशानियां और जटिलताएं कोविड-19 महामारी ने भी बढ़ाईं हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान कई महिलाओं को कोरोना का संक्रमण हुआ. रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि माताओं की मौत के मामलों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए सभी देशों को ग्लोबल टारगेट को पूरा करना चाहिए. 


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