कमर दर्द से हैं परेशान तो हो जाएं सावधान, क्योंकि 80 प्रतिशत महिलाएं हैं इस बीमारी का शिकार
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, जिससे हड्डियां अधिक नाजुक हो जाती है.
Back Pain And Osteoporosis : कमर दर्द आम तौर पर बहुत से लोगों को होता है. इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अच्छी तरह से न उठना-बैठना, अधिक समय तक बैठे रहना, शारीरिक चोट, या अन्य अंदरूनी समस्याएँ. यदि कमर दर्द लगातार बना रहता है और आपको इससे बहुत परेशानी हो रही है,तो हो सकता है आपको ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी हो जिसमें हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और टूटने का खतरा बढ़ जाता है. यह मुख्य रूप से बुढ़ापे में होती है, लेकिन आज कल यह युवाओं में भी देखने को मिल रहा है.
6 करोड़ लोग प्रभावित
वर्तमान में देश में 6 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं, और इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें 80 प्रतिशत महिलाएं हैं. ऑस्टियोपोरोसिस जहां यह पहले 50 साल की उम्र में दिखाई देता था, लेकिन अब 30 से 40 की आयु में भी यह संख्या बढ़ती जा रही है.
जानें क्या कारण हो सकता है
- आयु: जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, हड्डियों की घनत्व में प्राकृतिक रूप से कमी होती है.
- हार्मोनल परिवर्तन: महिलाओं में मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से हड्डियों की कमजोरी हो सकती है.
- पोषण की कमी: कैल्शियम और विटामिन D की कमी से भी हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है.
जानें लक्षण
- हड्डियों में दर्द
- हड्डियों की कमजोरी जिससे आसानी से चोट आ सकती है
- हड्डियों का आकार छोटा हो जाना
- हल्की चोट से भी हड्डी टूट सकती है.
- कमर की हड्डी की कमजोरी के कारण झुकना.
जानें इसका उपाय
- पोषक तत्वों की सेवन: कैल्शियम और विटामिन D की पर्याप्त मात्रा में सेवन करें.
- व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करना जैसे कि वॉकिंग, जोगिंग, और कम वजन उठाना.
- धूम्रपान और मदिरा: इनसे परहेज करें क्योंकि ये हड्डियों को कमजोर बना सकते हैं.
- बोन डेंसिटी टेस्ट: नियमित अवधियों पर हड्डी की मजबूती का परीक्षण कराएं.
- दवा : अगर आवश्यक हो, तो डॉक्टर की सलाह पर ऑस्टियोपोरोसिस की दवाएँ लें.
जानें कौन सा टेस्ट करवाएं
बोन डेंसिटी टेस्ट, जिसे डेक्सा स्कैन (DXA, Dual-Energy X-ray Absorptiometry) भी कहा जाता है, एक विशेष प्रकार की एक्स-रे परीक्षण है जो हड्डियों के मिनरल घनत्व को मापता है. यह टेस्ट ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों का पता लगाने में मदद करता है और यह भी पता लगाने में मदद करता है कि आपकी हड्डियों में फ्रैक्चर का जोखिम कितना है.
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