भारतीय महिलाओं में तेजी से ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ा है. भारत में यह कैंसर तीसरा सबसे आम प्रकार का कैंसर है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार, भारत में ओवेरियन कैंसर 1,00,000 महिलाओं में लगभग 6.8 होने का अनुमान है. ओवेरियन कैंसर तब होता है जब ओवरी में कैंसर के सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. 


ओवेरियन कैंसर एक साइलेंट किलर है


ओवेरियन कैंसर बेहद साइलेंट किलर की तरह काम करती है. शुरुआत में इसके लक्षणों का पता चल जाए तो इलाज मुमकिन है लेकिन जब यह शरीर के दूसरों अंगों तक फैल जाती है. ऐसी स्थिति में इलाज करना बेहद मुश्किल होती है. 


इन कारणों से भारतीय महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे हैं ओवेरियन कैंसर


इंडिया टूडे में छपी खबर के मुताबिक सोनीपत के एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. बबीता बंसल सिंह ने कहा कि ओवेरियन कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है. इन कारणों से भी महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ता है.जैसे- मोटापा, ओवेरियन कैंसर की फैमिली हिस्ट्री, गर्भवती न होना और एंडोमेट्रियोसिस शामिल, बार-बार टॉयलेट होना, पेट में सूजन और दर्द की संभावना, खाने में दिक्कत, पेट भरा हुआ लगना, पेट के निचले हिस्से में ट्यूमर या गांठ जैसा महसूस होना, पेट फूलना, कब्ज और गैस और अपच की परेशानी होना.


अचानक से वजन कम होना या वजन बढ़ने की दिक्कत होती है. लेकिन इन लक्षणों के बावजूद ओवेरियन के कैंसर का पता लगाना बेहद मुश्किल है इसलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है. दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की सलाहकार डॉ. प्रियंका सुहाग ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्सर लक्षण तब पता चलते हैं जब कैंसर हद से ज्यादा बढ़ चुका होता है.


ओवेरियन कैंसर को साइलेंट किलर कहा जाता है  क्योंकि आमतौर पर अपने फर्स्ट स्टेज पर इसके कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. जब तक इस कैंसर का पता चलता है तब तक यह हद से ज्यादा फैल जाती है. कई बार बिना लक्षण वाले ओवेरियन कैंसर दिखाई देते हैं. 


भारतीए महिलाओं में क्यों बढ़ रहा है ओवेरियन कैंसर का खतरा?


खराब खानपान और लाइफस्टाइल . देरी से बच्चा पैदा करने इसमें से एक कारण हो सकता है. 


पहले सही उम्र पर बच्चे होते थे लेकिन आप महिलाएं 30 की उम्र के बाद ही बच्चे पैदा करना पसंद करती है. प्रदूषण और केमिकल का बुरा असर भी औरतों पर पड़ता है. 


BRCA1 और BRCA2 जैसे जीन में वंशानुगत उत्परिवर्तन के कारण भी ओवेरियन कैंसर का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. 


ओवेरियन कैंसर का खतरा 50 साल की उम्र के बाद ज्यादा बढ़ता है. यह उन महिलाओं को ज्यादा होता है जो कभी प्रेग्नेंट नहीं हुई हो. जिनके पीरियड्स न आना उन्हें ओवेरियन कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ता है. 


हर साल 25,000 से अधिक नए मामलों की पहचान की जाती है. जिसके कारण यह हेल्थ डिपार्टमेंट के लिए बहुत टेंशन की बात है. 


पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) और एंडोमेट्रियोसिस जैसी स्थितियां ओवेरियन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 


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