पिछले कुछ सालों में ओवेरियन कैंसर की बीमारी तेजी से फैल रही है. यह कैंसर महिलाओं में पाइ जाने वाली जेनेटिक बीमारी है. ओवेरियन कैंसर महिलाओं में इतनी तेजी से फैलता है कि जब यह बीमारी लास्ट स्टेज में पहुंच जाता है तब इस बीमारी का पता चलता है. ओवेरिन कैंसर कई कारणों से हो सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं में जितने भी प्रकार के कैंसर होते हैं, उनमें ओवेरियन कैंसर आठवां सबसे आम कैंसर है. मृत्यु दर के मामले में इसका स्थान पांचवां है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, एडवांस्ड स्टेज तक पहुंचने और जल्दी मृत्यु होने का मुख्य कारण यह है कि अंतिम समय तक कई महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण स्पष्ट ही नहीं होते.


क्या है ओवेरियन कैंसर- अंडाशय में किसी भी तरह के कैंसर का विकास ही ओवेरियन कैंसर है. ओवेरियन कैंसर अधिकत्तर अंडाशय की बाहरी परत से पैदा होता है. सबसे आम तरह के ओवेरियन कैंसर को एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर (ईओसी) कहा जाता है.


ये कई तरह का होता है:


एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर (ईओसी)


ओवेरियन लो मैलिगनेंट पोटेंशियल ट्यूमर (ओएलएमपीटी)


जर्म सेल ट्यूमर


स्ट्रोमल ट्यूमर


क्या कहते हैं एक्सपर्ट- आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि ओवेरियन कैंसर अक्सर तब तक पता नहीं चलता, जब तक कि यह कमर और पेट के भीतर तक नहीं फैल जाता. अक्सर इस रोग के लक्षण न तो शुरू में प्रकट होते हैं और न ही अंत में. भूख और वजन की कमी इसके लक्षणों में शामिल है, लेकिन उससे रोग का पता तो हरगिज नहीं चल पाता.


हैरिडेट्री ओवेरियन कैंसर-   हैरिडेट्री ओवेरियन कैंसर बीआरसीए1 और बीआरसीए2 में म्यूटेशन के कारण होता है. जब ये जीन सामान्य होते हैं, तब वे प्रोटीन बनाकर इस कैंसर को रोकने का काम करते हैं. लेकिन, माता-पिता में किसी एक से भी मिले जीन में म्यूaटेशन से यह प्रोटीन कम असरकारक हो जाता है. इससे ओवेरियन कैंसर बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है.


ओवेरियन कैंसर के लक्षणः ओवेरियन कैंसर के शुरुआती लक्षणों में से कुछ हैं-


पैल्विस या कमर, शरीर के निचले हिस्से, पेट और पीठ में दर्द


इंडायजेशन


कम खाकर ही पेट भरा होने की फीलिंग


बार बार मूत्र आना


मल त्याग की आदतों में बदलाव


जब बढ़ जाता है ये रोग तब होते हैं ये लक्षण-


मतली


वजन घटना


सांस फूलना थकान


भूख की कमी


ओवेरियन कैंसर का इलाज- सर्जरी, कीमोथेरेपी या दोनों एक साथ और कभी-कभी रेडियोथेरेपी से होता है. इनमें से किस तरह का ट्रीटमेंट दिया जाना चाहिए, इसका निर्धारण ओवेरियन कैंसर की अवस्था, ग्रेड और रोगी की सामान्य सेहत पर निर्भर करता है. गर्भनिरोधक गोलियां महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकती हैं और गोलियां बंद करने के 30 साल बाद भी उनकी बीमारी से रक्षा कर सकती हैं.


ओवेरियन कैंसर के जोखिम को रोकने के उपाय


ब्रेस्टफीडिंग : जब कोई महिला ब्रेस्टफीडिंग कराती है, तो उसको ओवेरियन और फैलोपियन ट्यूब के कैंसर का खतरा कम हो जाता है.


गर्भावस्था : जिन महिलाओं को अधिक समय तक गर्भधारण रहता है, उन्हें भी ओवेरियन और फैलोपियन ट्यूब कैंसर का कम जोखिम होता है.


सर्जरी : जिन महिलाओं को हिस्टरेक्टोमी या ट्यूबल लाइगेशन हो चुका हो, उनको भी इस कैंसर का खतरा कम ही होता है.


लाइफस्टाइल : फलों और सब्जियों का अधिक सेवन, नियमित रूप से व्यायाम, धूम्रपान और शराब से दूरी अच्छी सेहत की निशानी है और कैंसर का खतरा भी कम रहता है.