नई दिल्लीः यूनिसेफ का कहना है कि बच्चों को खसरे का टीका (वैक्सीन) नहीं दिए जाने के कारण दुनिया के कई देशों में खसरे के प्रकोप की आशंका कई गुना बढ़ गई है.


क्या कहते हैं आंकड़े-
यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक, 2010 से 2017 के बीच 16.9 करोड़ बच्चों को खसरे का पहला टीका नहीं दिया गया. इतना ही नहीं, हर साल तकरीबन 2.11 करोड़ बच्चों को खसरे की वैक्सीन नहीं मिली.


यूनिसेफ की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिएटा फोर ने कहा कि दुनिया भर में खसरा फैलने की इस आशंका की शुरुआत कई साल पहले हो गई थी. इनके मुताबिक, खसरे का वायरस उन बच्चों को बड़ी आसानी से प्रभावित करता है जिन्हें खसरे का टीका नहीं दिया गया है. अगर हम वास्तव में इस खतरनाक बीमारी को फैलने से रोकना चाहते हैं तो हमें गरीब और अमीर सभी देशों में हर बच्चे को खसरे का टीका देना होगा.


यूनिसेफ की रिपोर्ट-
बच्चों को खसरे की बीमारी से बचाने के लिए खसरे की वैक्सीन की दो खुराक दी जाती है. यूनिसेफ के अनुसार, 2019 को पहले तीन महीनों में दुनिया भर में खसरे के 110,000 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 300 फीसदी अधिक हैं. एक अनुमान के मुताबिक 2017 में 110,00 लोगों की मृत्यु खसरे के कारण हुई, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे, इस दृष्टि से पिछले साल की तुलना में 22 फीसदी की वृद्धि हुई है.


ऐसा क्यों हुआ-
यूनिसेफ ने कहा कि हालांकि उपलब्धता की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता, कुछ मामलों में वैक्सीन को लेकर डर या संदेह के कारण 2017 में दुनिया भर में खसरे की पहली वैक्सीन का कवरेज 85 फीसदी रहा. यह आंकड़ा आबादी बढ़ने के बावजूद पिछले कई दशकों से स्थिर बना हुआ है. वहीं दूसरी खुराक की बात करें तो दुनिया भर में यह कवरेज और भी कम- 67 फीसदी रहा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बीमारी से प्रतिरक्षा हासिल करने के लिए कम से कम 95 फीसदी कवरेज जरूरी है.


हाल ही जारी आंकड़ों के अनुसार, उच्च आय वाले देशों में पहली खुराक का कवरेज 94 फीसदी है, जबकि दूसरी खुराक का कवरेज 91 फीसदी है.


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