(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ऑटोइम्यून रोग से पीड़ित 50 फीसदी से अधिक लोग अवसाद और चिंता का अनुभव करते हैं: स्टडी
जर्नल रूमेटोलॉजी में प्रकाशित एक नई स्टडी में पाया गया है कि ऑटोइम्यून बीमारी वाले 50 फीसदी से अधिक लोग अवसाद और चिंता से पीड़ित हैं.
Connection Between Autoimmune Disease And Anxiety: ऑटोइम्यून डिजीज एक तरह की ऐसी स्थिति जहां प्रतिरक्षा प्रणाली गलती बाहरी तत्व से लड़ने के बजाए शरीर की अपनी कोशिकाओं पर ही हमला कर देता है. अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के मुताबिक करीब 100 तरह की ऑटोइम्यून बीमारियों की पहचान हो चुकी है. इनमें से रूमेटाइड अर्थराइटिस, सोरायसिस, टाइप 1 डायबिटीज के नाम हम सभी जानते हैं. वहीं अब एक स्टडी में ऑटोइम्यून डिजीज को लेकर एक बहुत ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.जर्नल रूमेटोलॉजी में प्रकाशित एक नई स्टडी में पाया गया है कि ऑटोइम्यून बीमारी वाले 50 फीसदी से अधिक लोग अवसाद और चिंता से पीड़ित है.
ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित मरीजों में डिप्रेशन- स्टडी
शोध में 1853 सिस्टमिक ऑटोइम्यून रूमेटिक डिजीज (SARDs) रोगियों के डेटा की तुलना 463 कंट्रोल ग्रुप और 289 चिकित्सकों से की गई और पाया गया कि SARDs के 55% रोगियों में वर्तमान में अवसाद और 57 फीसदी चिंता है.शोधकर्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऑटोइम्यून बीमारी वाले कई लोगों को अपनी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की रिपोर्ट करने या मदद मांगने की संभावना कम थी. ऐसा कलंकित होने के डर के कारण था. जिन लोगों ने अपनी चिंताएँ व्यक्त कीं, उन्होंने अनदेखी किए जाने जाने की शिकायत की.
ऑटोइम्यून किस तरह से मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है
ऑटोइम्यून विकारों को मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों जैसे ऑर्बिटो-फ्रंटल कॉर्टेक्स, डॉर्सोलेटरल प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है, जो मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन्हें मस्तिष्क में सूजन और जलन पैदा करने के लिए भी जाना जाता है. इसलिए, उनसे अवसाद, चिंता, मनोविकृति और संज्ञानात्मक समस्याएं पैदा होने की अत्यधिक संभावना है. डॉक्टर के मुताबिक, ऑटोइम्यून विकारों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा 25% से 80% तक हो सकता है.डॉक्टर के मुताबिक डिप्रेशन के चलते आत्महत्या का भी एक महत्वपूर्ण जोखिम है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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