कोरोना वायरस ने दुनियाभर में कोहराम मचा रखा है. कोरोना संक्रमण से संक्रमित मरीज के शरीर में ऑक्सीजन घटाई तो बाजार में पल्स ऑक्सीमीटर की डिमांड बढ़ गई. जैसे थर्मामीटर हर घर में होता है आजकल ऑक्सीमीटर हर घर की मेडिकल किट में शामिल होने लगा है. कुछ महीने पहले जहां इसकी बाजार में न के बराबर बिक्री थी, आज मांग कई गुना बढ़ गई है. लोग घर पर ही ऑक्सीमीटर से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा नाप रहे हैं.


ऑक्सीमीटर पल्स रेट और बॉडी ऑक्सीजन सैचुरेशन रिकॉर्ड करता है. ऑपरेशन और इन्टेन्सिव केयर के दौरान इस डिवाइस का इस्तेमाल होता है. दरअसल, जब कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित होता है, तो उसका ऑक्सीजन लेवल कम हो सकता है, उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. ऐसे में लोग कोरोना से संक्रमित होने की आशंका को देखते हुए ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन की मात्रा नापते हैं. लेकिन ऐसा भी पाया गया है कि कोरोना संक्रमित किसी व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल कम होने का पता ही न चले.


कोरोना के कारण आने वाले सालों में ऑक्सीमीटर का मार्केट बढ़ने वाला है और ये कुछ कंपनियां हैं, जो इसमें खास बिजनेस कर रही हैं- Masimo, Medtronic, Nonin MedicalSmiths Medical Nihon-Kohden, PhilipsGE Healthcare, Konica Minolta, Mindray
Heal Force, Contec, Solaris.


क्या है ऑक्सीमीटर?
ऑक्सीमीटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है. इस डिवाइस में लगे सेंसर ये पता लगाते हैं कि खून में ऑक्सीजन का प्रवाह कैसा है. इसे उंगली या कान पर क्लिप की तरह लगाना होता है. कोरोना मरीजों की मॉनिटरिंग में ऑक्सीजन लेवल बहुत अहम होता है. इसकी रीडिंग अगर 95% से 100% की रेंज में हो, तो ये सामान्य है. ऑक्सीजन लेवल का गिरना एक खतरनाक संकेत है. कोरोना संक्रमितों में अगर ऑक्सीजन लेवल 90% या उससे कम होता है तो अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है.


दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हाल ही में होम आइसोलेशन में रहने वाले बिना लक्षण या कम लक्षण वाले कोरोना मरीजों को ऑक्सीमीटर दिए हैं. ताकि वो घर पर ही अपने शरीर का ऑक्सीजन लेवल जांच सकें.


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