(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Cervical Test: सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए महिलाओं को जरूर कराना चाहिए ये टेस्ट
सर्वाइकल कैंसर एक तरह का साइलेंट किलर है. क्योंकि शुरुआत में इसका पता नहीं चलता है. और जब इसका पता चलता है यह अपना गंभीर रूप लेती है और शरीर के दूसरे ऑर्गन में फैल जाती है.
आज महिलाओं में सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ा है. भारत इन दिनों कैंसर का हब बना हुआ है. कैंसर काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. हर महीने बेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. सर्वाइकल कैंसर एक तरह का साइलेंट किलर है. क्योंकि शुरुआत में इसका पता नहीं चलता है. और जब इसका पता चलता है यह अपना गंभीर रूप लेती है और शरीर के दूसरे ऑर्गन में फैल जाती है.
ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) टेस्ट
ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) टेस्ट कोशिकाओं में उच्च जोखिम वाले एचपीवी प्रकारों के संक्रमण की जांच करता है जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण बन सकते हैं. पैप टेस्ट (जिसे पैप स्मीयर या सर्वाइकल साइटोलॉजी भी कहा जाता है) गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को इकट्ठा करता है ताकि उनमें एचपीवी के कारण होने वाले परिवर्तनों की जांच की जा सकती है, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में बदल सकते हैं.
सर्वाइकल कैंसर
35 साल की उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर संबंधी स्क्रीनिंग भी करवानी जरूरी मानी जाती है. इस स्क्रीनिंग में सर्वाइकल कैंसर की जांच की जाती है और इसके साथ साथ एचपीपी जिनोटाइपिंग टेस्ट भी किया जाता है. आपको बता दें कि दुनिया भर में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं और भारत में ये मामले काफी तेजी से पैर पसारते नजर आ रहे हैं.
पैप स्मियर
सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग की सबसे जरूरी टेस्ट होती है पैट टेस्ट जिसे पैट स्मियर टेस्ट कहा जाता है. इस टेस्ट के दौरान सर्विक्स के सेल्स से सैंपल लिया जाता है. जिसे लैब में टेस्ट किया जाता है. सर्विक्स के सेल्स हेल्दी है या नहीं. कहीं सेल्स में कैंसर तो नहीं बन रहे हैं. साथ ही इसमें यह भी पता लगाया जाता है कि फ्यूचर में कैंसर के चांसेस हैं या नहीं?
दोनों टेस्ट डॉक्टर के कार्यालय या क्लिनिक में किए जा सकते हैं. पैप परीक्षण के दौरान, डॉक्टर आपकी योनि के अंदर देखने के लिए एक प्लास्टिक या धातु के उपकरण का उपयोग करता है. जिसे स्पेकुलम कहा जाता है. इससे डॉक्टर को योनि और गर्भाशय ग्रीवा की जांच करने और गर्भाशय ग्रीवा और उसके आस-पास के क्षेत्र से कुछ कोशिकाओं और बलगम को इकट्ठा करने में मदद मिलती है. कोशिकाओं को प्रयोगशाला में भेजा जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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