Parasite in human body: इस infection में इंसानी बॉडी को घर बना लेता है परजीवी, बना सकता है अंधा
परजीवी नाम से स्पष्ट है, किसी दूसरे की बॉडी में कोई दूसरे जीव की डिपेंडेंसी, उसी जीव पर परजीवी का जीवन निर्भर होता है. क्या हो यदि ऐसा ही खतरनाक परजीवी इंसान की बॉडी को अपना घर बना ले?
कैंसर, डायबिटीज, एचआईवी जैसी घातक बीमारियां बॉडी में किसी वायरस के पनपने या फिर इंटरनल सेल्स के बढ़ने से होती है. यह बीमारियां इतनी घातक होती हैं कि अगर समय पर इलाज न हो तो जानलेवा हो सकती हैं लेकिन क्या आप यह सोच सकते हैं कि कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं जिनमें बाहरी पैरासाइट्स आकर इंसानी बॉडी में अपना घर बना लेते हैं. वह इंसान के टिश्यू पर जिंदा रहते हैं और इंसानी शरीर को अंदर से बेजान बना सकते हैं. हालत यह हो जाती है कि यदि समय पर इलाज ना हो और यदि पैरासाइट्स इंसान की आंख में डेरा जमाए हुए हैं तो अंधा तक कर सकता है. नाक से ब्लीडिंग हो सकती है दिमाग की नसों को खाकर खोखला कर सकता है, आज उसी पैरासाइट पर बात करते हैं. डॉक्टरों का कहना है यदि बॉडी में कहीं भी कुछ दुखन हो या घाव जैसा लगे तो तुरंत ही डॉक्टर को दिखाएं.
Myiasis है यह खतरनाक परजीवी
इस इंफेक्शन को मियासिस के नाम से जाना जाता है. यह हवा में उड़ने वाला है. यदि ह्यूमन बॉडी में घुस जाए तक ह्यूमन टिश्यू पर जिंदा रहता है. इन्हें मेग्गोट पुकारा जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक विश्व में जब लोग ट्रॉपिकल जोन में ट्रैवल करते हैं. नॉर्मली अफ्रीका और दक्षिण अमरीका में यह लार्वा अधिक देखने को मिलता है. यदि लोग खुले घाव के साथ यात्रा कर रहे हैं. उन्हें इस लार्वा के बॉडी में जाने का खतरा अधिक होता है.
बुजुर्ग महिला की आंख- नाक से निकाले 140 मेग्गोट
बेंगलुरु के एक अस्पताल में 65 वर्षीय बुजुर्ग की आंख और नाक से 140 मेग्गोट निकाले हैं. हॉस्पिटल के डॉक्टरों के मुताबिक कोविड-19 के दौरान बुजुर्ग महिला ब्लैक फंगस का इलाज कराने के लिए आई थीं. आंख नाक से बेड टिश्यू निकाल दिए गए. बाद में मरीज को घर भेज दिया गया करीब 3 महीने पहले मरीज में वैसे ही लक्षण देखने को मिले. उनकी एक आंख पूरी तरह सूजी हुई थी. नाक से ब्लीडिंग हो रही थी. जांच करने पर पता चला की बाई आंख पूरी तरह अंधी हो चुकी है. सर्जरी के लिए डॉक्टरों का एक पैनल बनाया गया. इम्वेस्टिगेशन में सामने आया कि मरीज की आंख और नाक में मेग्गोट ने डेरा डाल दिया है. उनकी नाक से 110 मेग्गोट निकाले गए. डेड टिश्यू को भी निकाल दिया गया. अगले दिन 35 मेग्गोट आंख की पुतली से निकाले गए. पेशेंट फिलहाल स्थिर हैं.
दिमाग तक पहुंच सकते मेग्गोट
यदि जल्दी ही पेशेंट का इलाज नहीं किया जाता तो यह कीड़े ब्रेन तक पहुंच सकते थे. ब्रेन को काफी नुकसान पहुंचा सकते थे. डॉक्टरों का कहना है कि आंखों का संबंध सीधा ब्रेन से होता है. ऐसे में आंखों का इन्फेक्शन ब्रेन में भी फैल सकता था. डॉक्टरों ने बताया कि बॉडी में यदि कहीं जख्म है. वह पका हुआ लग रहा है और काफी समय से ठीक नहीं है तो तुरंत ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
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