(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Parenting Tips: अश्लील चीजें देखने लगा है बच्चा तो ऐसे करें उससे बात, नहीं होगी कोई परेशानी
छोटी उम्र में जब बच्चा अश्लील चीजें देखने लगता है तो पैरेंट्स के लिए इससे डील कर पाना काफी मुश्किल होता है. वो इस बात को जानते हैं कि यह बच्चे के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है.
Parenting Tips : कहीं आपका बच्चा भी तो छोटी सी उम्र में अश्लील कंटेंट (Obscene Content) नहीं देख रहा है. दरअसल, जब बच्चे थोड़े बड़े और किशोरावस्था में आने लगते हैं तो उनका ब्रेन बहुत क्यूरियस होता है. ऐसे में इंटरनेट पाते ही वो कई चीजों को देखना, पढ़ना और समझना शुरू कर देते हैं.
अगर इस उम्र में बच्चा अश्लील, गंदे या पोर्न साइट्स देख रहा है तो इससे डील करना किसी पैरेंट्स के लिए काफी मुश्किल भरा हो सकता है. हालांकि, अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो कई तरीकों से इस सिचुएशन को आप संभाल सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे...
1. बच्चों को डांटें नहीं सिचुएशन को सामान्य बनाएं
अगर आपका बच्चा पोर्न या इस तरह के अश्लील कंटेंट देख रहा है तो उसे डांटने की बजाय सिचुएशन को सामान्य बनाने की कोशिश करें. धैर्य से काम लेते हुए उन्हें सिर्फ समझाना है, उनसे बातचीत करके ही इसका हल निकाला जा सकता है, क्योंकि ये चीजें बच्चों के दिमाग पर असर डालती हैं.
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2. फ्रैंडली बिहैवियर रखें
अगर बच्चों को कुछ भी समझाना है तो बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार बनाकर रखें. यह सच है कि पैरेंट्स के लिए बच्चों से अश्लील कंटेंट पर बात करना काफी मुश्किल वाला काम है लेकिन अगर उनसे फ्रैंडली बिहैवियर रखेंगे तो बॉडी, प्रेगनेंसी, ओवरफ्लो हेल्थ और अश्लील कंटेंट पर बात कर सकते हैं. हो सकता है आपका बच्चा खुद ही ये बातें शेयर कर दें. इससे आपका काम आसान हो जाएगा.
3. हमेशा पॉजिटिव तरीके से ही बात करें
बच्चे से बात करते समय उन्हें बताएं कि ये चीजें सही नहीं हैं. इनमें दिखाई जाने वाली चीजें गलत होती है. उन्हें रियलिटी से वाकिफ कराएं. अगर आप पॉजिटिव तरीके से अपने बच्चे की मदद करेंगे तो वह हेल्दी सेक्स के बारे में आसानी से जान पाएगा और उसका नजरिया भी बदलेगा. इससे वह इस तरह के कंटेंट के साइड इफेक्ट्स से भी बच पाएगा.
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4. सेक्सुअल एजुकेशन
बच्चों को समय के साथ सेक्स एजुकेशन देना जरूरी होता है. बच्चों को पोर्न या अश्लील कंटेंट की ज्यादा जानकारी नहीं होती है, जिस वजह से उन्हें इन चीजों की लत लग जाती है. अगर आप बच्चों को पहले ही इस तरह के वीडियो और कंटेंट के साइड इफेक्ट्स के बारें में बताएंगे या उन्हें स्कूल में इसकी जानकारी होगी तो बच्चों को संभलने का मौका मिल जाता है और उनके दिमाग में आने वाले सवालों का जवाब भी उन्हें मिल जाता है, जिससे वे काफी हद तक इससे बच जाते हैं.
5. बच्चों के सवालों का जवाब दें और सीमाएं भी बनाएं.
बच्चों से पूछे कि स्क्रीन पर उसने जो कुछ भी देखा, क्या उसे लेकर कोई सवाल उसके मन में हैं.उसे समझाएं कि क्या गलत और क्या सही है. उसकी सीमाएं तय करें कि उसके लिए क्या बेहतर हो सकता है. हर छोटी-ब़ड़ी चीज पर उसके सवालों का जवाब देने की कोशिश करें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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