भारत में अधिकतर लोग अपने दिन की शुरुआत चाय पीकर करते हैं. चाय के बिना सुबह की कल्पना कर पाना भी उनके लिए मुश्किल होता है. कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्हें सुबह उठते ही बेड पर चाय चाहिए होती है. बड़े तो बड़े आजकल छोटे-छोटे बच्चों को भी चाय पीने की आदत लग गई है. उन्हें भी वयस्कों की तरह दो से तीन टाइम चाय चाहिए होती है. कई बार तो माएं भी अपने बच्चों को चाय बिस्किट खिलाती हैं, ताकि उनका पेट भर जाए. हालांकि वह इस बात से अनजान है कि छोटी उम्र में बच्चों को चाय पीलाना कितनी खतरनाक साबित हो सकता है.
अगर आपका बच्चा भी चाय पीने की जिद करता है और आप उसकी यह जिद पूरी कर देते हैं तो यह जान लीजिए कि आप अपने बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. दरअसल चाय हो या कॉफी, इन हॉट ड्रिंक्स में ज्यादा मात्रा में कैफीन और शुगर पाया जाता है. कैफीन और शुगर ये दोनों ही चीजें स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने का काम करती हैं. इसका असर न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा, बल्कि बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य भी बुरी तरह से प्रभावित होगा.
12 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं पिलानी चाहिए चाय
डाक्टर्स का मानना है कि कैफीन वाली मीठी चीजों का सेवन करने से बच्चों के दांतों में सड़न की समस्या पैदा हो सकती है अर्थात कैविटी हो सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं, इनका ज्यादा सेवन करने से ज्यादा बार-बार पेशाब जाने की दिक्कत हो सकती है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, 12 साल से कम उम्र वाले बच्चों को कैफीन वाली चीजों का सेवन नहीं करने दिया जाना चाहिए. उन्हें न तो चाय दी जानी चाहिए और ना ही कॉफी.
कैफीन का बच्चों पर पड़ता है बुरा प्रभाव
जबकि 12-18 एजग्रुप के लोगों को रोजाना 100 मिलीग्राम से ज्यादा कैफीन नहीं लेना चाहिए. अगर आपने बच्चों को ज्यादा मात्रा में चाय या कॉफी देना जारी रखा तो उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं घेर सकती हैं. उनकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. नींद की कमी हो सकती है. चिड़चिड़ापन, डायबिटीज, डिहाइड्रेशन और कैविटी की प्रॉब्लम हो सकती है.
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