Paternal Depression Effect On Child: पिछले दिनों मेडिकल जरनल (Medical Journal) डिवेलपमेंट ऐंड साइकोपैथोलजी (Development and Psychopathology) में एक शोध प्रकाशित हुआ. यह शोध बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास से संबंधित है, जिसमें यह जानने का प्रयास किया गया है कि यदि पिता को डिप्रेशन (Depression) हो तो इसका बच्चों और खासतौर पर टीनएजर्स बच्चों (Teenagers) पर किस तरह का असर पड़ता है. इस शोध के कुछ नतीजों को देखकर शोधार्थी उस समय हैरान रह गए जब गोद लिए हुए बच्चे में भी डिप्रेशन के शिकार पिता का प्रभाव देखने को मिला. क्योंकि आमतौर पर माना जाता है कि जेनेटिक्स (Genetics) के आधार पर रोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ट्रांसफर हो सकते हैं. हालांकि मानसिक रोगों (Mental diseases) के लिए यह बात पूरी तरह फिट नहीं बैठती है.
इस शोध को करने के पीछे उद्देश्य यह है कि पिता का डिप्रेशन या माता-पिता का डिप्रेशन में होना, क्या बड़े होते बच्चों में भी इस बीमारी की वजह बन सकता है? यह शोध यूनाइटेड स्टेट की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी (Penn State University) के शोधार्थियों द्वारा किया गया. शोधार्थियों का कहना है कि अब तक इस बात पर ही अधिक जानकारी मिलती है कि अवसाद और अनुवांशिक रूप से बढ़े परिवार पर इसका क्या असर होता है लेकिन अब शोध के माध्यम से इस बारे में भी जानकारी मिल रही है कि गोद लिए हुए बच्चों वाले परिवार साथ ही मिश्रित परिवार यानी जिनमें एक बच्चा गोद लिया हुआ होता है और एक अनुवांशिक होता है, इन परिवारों में पिता के डिप्रेशन का किस तरह का प्रभाव होता है.
बच्चों पर होता है ऐसा असर
- पिता के अवसाद का बड़े होते बच्चों पर गहरा असर पड़ता है. फिर चाहे वह बच्चा अनुवांशिक रूप से पिता से जुड़ा हो या फिर गोद लिया गया हो.
पिता यदि डिप्रेशन में हो तो बच्चों को विकास के लिए सही वातावरण नहीं मिल पाता है. - सामान्य रूप से भी किशोर बच्चों और माता-पिता के बीच वैचारिक संघर्ष होता है लेकिन यदि पैरंट्स डिप्रेशन से गुजर रहे हों बच्चे के लिए स्थितियां बहुत पीड़ा देने वाली हो जाती हैं, जिनका असर बच्चे के मानसिक और भावनात्मक ग्रोथ पर पड़ता है. जो भविष्य में उन्हें एंग्जाटी या डिप्रेशन का शिकार बना सकती हैं.
- बच्चे को डांटने और समझाने के दौरान अधिकांश माता-पिता बच्चे के भविष्य वक्ता के रूप में कार्य करते हैं, जिसका बच्चे के मन और भावनाओं पर बहुत प्रभाव होता है. इसलिए ऐसी बातें कड़वी या परेशान करने वाली होंगी तो बच्चे का मन कुंठित होगा. ये बातें बच्चे की इमोशनल हेल्थ पर बहुत प्रभाव डालती हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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