पढ़िए उन लोगों के एक्सपीरियंस जो ICU में मौत के मुंह से निकल आएं, कैसा लगा था मौत को इतने पास देखकर
एक आदमी जब अपने मौत को बेहद करीब से देखता है तो कैसा लगता होगा? आज इस सवाल के जवाब जानकर आप हैरान हो जाएंगे.
American Heart Association Scientific Sessions: इस दुनिया का सबसे बड़ा सच है 'मौत' (Death Door). लेकिन इस सच के साथ एक रहस्य भी जुड़ा हुआ है. रहस्य यह है कि जब कोई व्यक्ति मौत के दरवाजे पर खड़ा रहता तो वह कैसा महसूस करता है? मौत के साथ बहुत सारे सवाल जुड़े हुए हैं जैसे जब किसी इंसान का मौत हो जाता है तो आत्मा कहां चला जाता है? आज भी रहस्य बना हुआ है. यह भी सवाल है कि जब दिल की धड़कन बंद हो जाती है तो उस वक्त इंसान के अंदर का आत्मा कहां चला जाता है? इन सभी रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए सालों से डॉक्टर, साइटिंस्ट रिसर्च किए जा रहे हैं लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिली है.
इंटेंसिव केयर यूनिट के डॉक्टर्स का दावा
इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) के डॉक्टर्स का दावा है कि वह इस पर 25 साल से रिसर्च कर रहे हैं कि मौत और जिंदगी के बीच का बॉर्डर लाइन क्या होता है? इस क्षेत्र में 25 साल से एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में मेडिसिन डिपार्टमेंट के एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सैम पारनिया काम कर रहे हैं. पारनिया ने कहा मैं कई सालों से आईसीयू के मरीजों से मिलता हूं, बात करता हूं . खासकर वैसे मरीज जिन्होंने मौत को मात देकर एक बार फिर से जिंदगी मिली है. वैसे लोगों के अनुभव को मैंने बहुत ही ध्यान से सुना है और पाया है कि सभी लोगों के अनुभव अलग - अलग हैं.
मौत को करीब से देखने वाले लोगों का अनुभव
मौत के मुंह से बाहर निकलने वाले लोगों ने अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि जब दिल की धड़कन बंद होने लगती है तो शांति और चेतना का अनुभव होता है. दुनिया को लेकर सभी मोह- माया खत्म होने लगते हैं. ऐसा तब भी होता है जब व्यक्ति बेहोश होता है और मौत के पास होता है. डॉ सैम पारनिया ने बताया कि हमने यह रिसर्च बहुत सारे लोगों के ऊपर किया है. यह ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी दिल की धड़कन बंद हो गई थी फिर बाद में उन्हें सीपीआर देकर मौत के मुंह से वापस लाया गया .
मरे हुए सगे संबंधी दिखने लगे थे
मौत को मात देने वाले लोगों से जब पूछा गया कि आप जितने देर बेहोश थे उस वक्त आपको कैसा लगा तो कुछ मरीज ने बेहद अलग तरह का जवाब दिया. जिसे सुनकर डॉक्टर भी आश्चर्य में पड़ गए. अटैक या कार्डिएक अरेस्ट के बाद बहुत से मरीज बचा लिये जाते हैं. उनमें से कई को मौत के करीब जाने का अनुभव होता है. रिसर्च बताते हैं कि हार्ट अटैक झेलने वाले 10 में से 1 मरीज मौत को काफी पास से देखता है. कई मरीजों ने अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा. जब मुझे लगा मैं जिंदा नहीं रहूंगा तो मुझे लगा कि मैं एक अंधेरी लंबी सुरंग में घूस रहा हूं. वहीं दूसरे व्यक्ति ने कहा बेहोशी के वक्त मुझे एक चमकती हुई लाइट दिखी. कुछ लोगों ने कहा- मुझे अपने मरे हुए सगी- संबंधी दिख रहे थे.
उन सभी से पूछा गया कि दिल की धड़कन बंद होने लगती है तो कैसा फिल होता है तो उन्होंने कहा चेतना का अनुभव करते हैं. कई लोग अपने उन रिश्तेदारों या मित्रों को भी देखते हैं जो मर चुके हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उन लोगों को देखते हैं, जिन्हें वे अब तक जिंदा समझते थे और जिनकी मौत की खबर उन तक नहीं पहुंची.
CPR के बाद कई मरीज जिंदा बच निकलें
1.कुछ मरीजों ने कहा कि आईसीयू में जब होश आया तो ऐसा फिल हुआ कि किसी नए जगह जा रहे थे. वहीं से किसी ने लौटा दिया है.
2.कुछ जिंदगी के पुराने दिनों को याद करने लगते हैं. तो किसी को अपनी लाइफ के पुराने डरावने पल याद आने लगते हैं. कुछ मरीजों को ऐसा महसूस हुआ कि वह कहीं नई जगह पर जा रहे हैं. डॉ पारनिया ने मेडिकल न्यूज टुडे को बताया कि कई रोगियों ने इस बात पर विचार किया कि उनके कार्यों ने दूसरों को कैसे प्रभावित किया.
3. कुछ रोगियों ने कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि वे कहीं जा रहे हैं. यह बिल्कुल घर जैसा लग रहा था.
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