Depression And Burnout: नौकरीपेशा जीवन में तनाव और अवसाद होना, अब मानों एक आम बात हो चली है. ज्यादातर प्राइवेट सेक्टर्स (Private Jobs) से जुड़े लोगों को अपने वर्क प्लेस पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जब तक ये चुनौतियां आगे बढ़ने में सहायक रहती हैं तब तक तो ठीक है लेकिन जब ये चुनौतियां अपने खुद के सर्वाइवल पर हावी होने लगती है, तब व्यक्ति पहले तनाव (Stress) और फिर अवसाद यानी डिप्रेशन की तरफ बढ़ने लगता है.


अमेरिका में हुई एक रिसर्च में यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि डिप्रेशन (Depression) को लेकर सबसे संवेदनशील प्रोफेशन कौन-से हैं. साथ ही इन प्रोफेशन से जुड़े लोगों में अगर डिप्रेशन तेजी से हो रहा है तो इसके कारण क्या हैं. यहां इस आर्टिकल में आपको इसी बारे में संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है. सबसे पहले उन प्रोफेशन के नाम जानें, जिनसे जुड़े लोग डिप्रेशन के हाई रिस्क पर होते हैं...



  • बस ड्राइवर

  • प्रिंटिंग कंपनी के कर्मचारी

  • ग्राहक भर्ती

  • कार मकेनिक

  • सेल्स जॉब वाले लोग

  • सफाई कर्मचारी

  • निजी सहायक

  • फैक्टरी कर्मचारी

  • समाज सेवक

  • रियल एस्टेट एजेंट


क्या हैं तनाव के कारण?


रिसर्च में ऐसे जो 10 टॉप प्रोफेशन सामने आए हैं, इनमें डिप्रेशन और तनाव होने का खतरा सबसे अधिक होता है. उन पर गौर करेंगे तो कुछ खास कारण और स्थितियां साफ नजर आएंगी, जिनके आधार पर यह समझना बहुत आसान है कि आखिर इस प्रोफेशन में काम करने वाले लोग बर्नआउट और डिप्रेशन का इतना शिकार क्यों हो जाते हैं. जैसे, बस ड्राइवर को ही ले लीजिए. कई बार इन्हें सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा लगातार करनी होती है. कई-कई दिनों तक घर परिवार से दूर रहना होता है. सेल्स वालों को देख लीजिए टारगेट के चक्कर में इनकी रातों की नींद उड़ी रहती है. सफाई कर्मचारियों को ले लीजिए, इनमें से ज्यादातर लोग ऐसी स्थितियों का सामना करते हैं, जहां इनके किए हुए काम की कोई कद्र नहीं करता और लोग इन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं सो अलग. ये सभी स्थितियां मानसिक रूप से परेशान करने वाली होती हैं.


बर्नआउट (Burnout) और डिप्रेशन (Depression) के हाई रिस्क पर बस ड्राइवर क्यों हैं, इसका एक बड़ा कारण होता है अकेलापन (Loneliness). काम की जिम्मेदारी के कारण ये हफ्तों तक घर से दूर रहते हैं और कभी-कभी महीनों तक. इस दौरान इन्हें ज्यादातर समय अपनी बस की सीट पर ही समय बिताना होता है. ताकि ये अपने यात्रियों को उनकी मंजिल तक सही से पहुंचा दें. इसलिए अब जब भी आप बस में सफर करें तो ड्राइवर और कंडक्टर से प्रेम और सम्मान से व्यवहार करें. इनका परिवार भी इनके बिना उतना ही अधूरा होता है, जैसे आपका परिवार आपके अपनों के बिना.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें: क्यों होता है गंजापन और क्या हैं इसके शुरुआती लक्षण


यह भी पढ़ें: गर्मी के मौसम में क्यों रूखी होने लगती है त्वचा, जानें कारण और बचाव के उपाय