साउथ अमेरिका में स्थित एक छोटा सा देश इन दिनों वहां पर एक बीमारी ने तहलका मचा कर रखा हुआ है. बीमारी का नाम है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) या जीबीएस (GBS). हर रोज इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. जिसके कारण पूरे देश में हेल्थ इमरजेंसी अलर्ट जारी किया गया है. हेल्थ इमरजेंसी 90 दिनों तक जाी रहेगी. बताया जा रहा है कि पिछले महीने इस बीमारी के चपेट 200 के करीब लोग आ गए हैं. अब तक 4 लोगों की इस बीमारी से मौत हो गई.
आपको बताते हैं कि आखिर ये जीबीएस एक न्यूरोलॉजिकल यानी तंत्रिका संबंधी बीमारी है क्या?
इस बीमारी में इम्यून सिस्टम नर्वस सिस्टम पर हमला कर देती है. यही वजह है कि इससे पीड़ित लोगों को सबसे पहले लकवा मार देता है. कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन के साइड इफेक्ट के दौरान इस बीमारी का जिक्र हुआ था. आइए जानते हैं ये बीमारी क्या है और इसके मामले आए दिन बढ़ते जा रहे हैं.
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम क्या है?
यूएस एनआईएच के मुताबिक जीबीएस एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें इम्यून सिस्टम गलती से पेरिफेरल नर्वस सिस्टम यानी नसों पर हमला करने लगता है. जाहिर है कि नसों का पूरा नेटवर्क दिमाग और रीढ़ की हड्डी के बाहर होता है. यह कोई जेनेटिक बीमारी नहीं है साथ यह इसके साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसके कारणों का आजतक पता नहीं चल पाया है. यह बीमारी इंसान के पूरे नसों पर हमला करती है जिसके कारण इंसान के शरीर में सुन्नता, झुनझुनी और कमजोरी जैसी दिक्कत होने लगती है. ऐसी गंभीर स्थिति में लकवा मार देता है. जीबीएस के मरीज में धीरे-धीरे कमजोर बढ़ने लगती है. जिसकी वजह से गंभीर लकवा मार देता है. इसके कई सारे गंभीर साइड इफेक्ट्स हैं. जिसमें से एक लक्षण हैं सांस लेने में परेशानी
यह बीमारी व्यक्ति को कर देती है बेहद कमजोर
इस बीमारी में व्यक्ति काफी ज्यादा कमजोर हो जाता है. कुछ घंटों या दिनों में हालत गंभीर हो जाती है. ज्यादातर लक्षण दो हफ्ते में दिखाई देने लगते हैं. तीसरे हफ्ते तक व्यक्ति 90 प्रतिशत तक कमजोर हो जाता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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