भारत में कोविड-19 से होनेवाली मौत में प्लाज्मा थेरेपी कारगर साबित नहीं हुई. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)ने शोध में खुलासा किया है. उसने कहा है कि अब प्लाज्मा थेरेपी के प्रभावी होने की और जांच की जाएगी.


कोविड से होनेवाली मौत में प्लाज्मा थेरेपी कारगर नहीं


ICMR का प्लाज्मा थेरेपी पर पूरा होनेवाला शोध दुनिया में सबसे बड़ा रैंडोमाइज्ड कंट्रोल परीक्षण ट्रायल है. अभी चीन और नीदरलैंड्स में किया जानेवाला प्लाज्मा थेरेपी पर शोध पूरा नहीं हो सका है. ICMR के शोधकर्ताओं ने 22 अप्रैल से 14 जुलाई तक चल रहे परीक्षण का मुआयना किया.


प्लाज्मा थेरेपी महामारी काल में इलाज का एक तरीका विकसित किया गया है. इसमें कोरोना वायरस को मात दे चुके मरीज का प्लाज्मा कोरोना पीड़ित मरीज को दिया जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्रमण से उबर चुके मरीज के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है. और तीन हफ्तों बाद प्लाज्मा के रूप में उसे किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है. एक बार में कोरोना से ठीक हो चुके मरीज के शरीर से 400 मिलीलीटर प्लाज्मा निकालकर दो संक्रमित रोगियों को दिया जा सकता है.


ICMR ने शोध में पहली बार किया खुलासा


ICMR ने शोध के लिए 29 निजी और सरकारी अस्पतालों के 464 वॉलेंटियर को दो ग्रुप में बांटा. ये वॉलेंटियर केंद्र शासित प्रदेश समेत 14 अन्य राज्यों के थे. उसे शोध के नतीजों से पता चला कि 28 दिनों में मृत्यु दर में कोई फर्क नहीं आया. रिपोर्ट में बताया गया कि कोरोना का प्लाज्मा से इलाज करा रहे कोविड-19 के मरीजों में बीमारी मध्यम से बढ़कर गंभीर हो गई. ICMR ने प्लाज्मा थेरेपी शोध को 'प्लेसिड' (PLACID) का नाम दिया है. रिपोर्ट से ये भी मालूम हुआ कि प्लाज्मा में मौजूद एंटी बॉडीज के लेवल में कोई अंतर नहीं आया. हालांकि इससे पहले एम्स नई दिल्ली भी प्लाज्मा थेरेपी के इलाज पर सवाल खड़े कर चुका है. उसने 30 मरीजों पर किए अध्ययन के बाद दावा किया था कि थेरेपी के बाद भी मरीजों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं दिखा.


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