नई दिल्ली : एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 से संक्रमित अधिक उम्र के लोगों में मौत के खतरे को कम करती है, विशेषकर उन लोगों को जिन्हें आईसीयू की जरूरत होती है. यह अध्ययन मैक्स हेल्थकेयर द्वारा चलाई जा रही तीन अस्पतालों के डॉक्टरों ने किया है, जिसे ब्लड सेल, मॉलिक्यूल्स और डिजिजेज नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है. मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा के अनुसार, दक्षिण दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी, मैक्स स्मार्ट और मैक्स शालीमारबाग में एक मई से 31 अगस्त तक भर्ती 1249 कोविड मरीजों में से 1079 मरीजों पर किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया.
इनमें से 694 मरीज (अध्ययन में शामिल मरीजों का 64 फीसदी) को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत महसूस की गई. इनमें से 333 मरीजों (48 फीसदी) को बेहतर सपोर्टिव केयर के साथ ही प्लाज्मा थेरेपी दी गई, जबकि 361 मरीजों (52 फीसदी) को सिर्फ बेहतर सपोर्टिव केयर के साथ रखा गया. इन दोनों तरह के मरीजों के मृत्यु दर में महत्वपूर्ण अंतर देखा गया. पहले ग्रुप के मरीजों में मृत्यु दर 26 फीसदी थी, जबकि दूसरे ग्रुप में यह दर 33 फीसदी थी. विशेषकर प्लाज्मा ग्रुप के उन मरीजों में मृत्यु दर कम देखी गई, जिनकी उम्र 60 से 74 वर्ष के बीच थी. 333 मरीजों में से 26 मरीजों को दूसरी बार प्लाज्मा थेरेपी दी गई, क्योंकि पहली बार प्लाज्मा थेरेपी देने के बाद भी इनकी स्थिति में सुधार नहीं देखा जा रहा था. इनमें से 10 मरीजों की मौत हो गई. अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी काफी सुरक्षित पाया गया और किसी भी मरीज में इसका कोई बुरा असर नहीं देखा गया.
इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 39 अस्पतालों में भर्ती 464 कोविड मरीजों पर एक अध्ययन किया था, जिसमें प्लाज्मा और नॉन प्लाज्मा मरीजों के मृत्यु दर में कोई खास अंतर नहीं देखा गया था. हालांकि इस अध्ययन में कोविड के गंभीर मरीजों को शामिल नहीं किया गया था. मैक्स हेल्थकेयर के अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी का फायदा केवल उन्हीं कोविड मरीजों में देखा गया जो गंभीर रूप से बीमार थे और आईसीयू की जरूरत थी.