Pneumonia: सर्दियों में देखने को मिलता है कि बच्चे कई तरह के संक्रमण से प्रभावित हो जाते हैं. इस मौसम में छोटे बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. बच्‍चों में ज्यादातर निमोनिया के केस बैक्टीरिया या वायरस के इंफेक्शन के कारण होते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जो मौसम बदलने, सर्दी लगने से हो जाती है. बदलते मौसम में बच्चों की देखभाल करना बहुत जरूरी है. एक्सपर्ट्स के अनुसार बुखार, खांसी, सांस तेज चलना, पसली चलना या पसली धसना निमोनिया के लक्षण हैं. बच्चे में ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं.


हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो शिशु को पहले छह महीनों तक मां का ही दूध पिलाएं. मां का दूध बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाएगा. मां के दूध में एंटीबॉडीज होती हैं, जो बच्चे को रोगों से बचाने में मददगार साबित होती है. ठंड से बचाव के लिए बच्चे को गर्म कपड़े पहनाएं. ठंडी हवा से बचाने के लिए बच्चे के कान को ढंके, मोज़े पहनाएं. इसके अलावा बच्चे का निमोनिया से बचाव करने के लिए पीसीवी वैक्सीन लगवानी चाहिए जो बीमारी से बचाव में बेहद कारगर है.


किसी भी उम्र में हो सकता है निमोनिया
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि निमोनिया किसी भी उम्र में हो सकता है. छोटे बच्चों में कई बार इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं. कुछ बच्चों में निमोनिया के कारण सांस की तकलीफ, उल्टी या खाने-पीने में परेशानी हो सकती है. पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में तेज सांस या घरघराहट जैसी दिक्कतें देखी जाती है. खांसते या छींकते समय मुंह नाक को अच्छे से कवर करें.


ये हैं लक्षण
तेज बुखार, लगातार खांसी आना, सांस तेज लेना, उल्टी और दस्त, भूख न लगना, शरीर में पानी की कमी, ठंड लगकर बुखार आना, सीने में दर्द, नाखून या होठों का नीला पड़ना.


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