नई दिल्ली: सावधान ! यादि आपका बच्चा सिर में दर्द और आंखों में जलन की शिकायत अक्सर करता रहता है तो यह खतरे की घंटी है क्योंकि हरी सब्जियों से दूरी और जंक फूड से दोस्ती आपके लाडलों पर भारी पड़ रही है. इसके साथ ही मोबाइल और प्रदूषण आंखों की परेशानी बढ़ाने की रही-सही कसर पूरी कर रहे हैं. बच्चों के प्यार और मोह में भले ही आपको नहीं दिख रहा है लेकिन हकीकत यही है कि मोबाइल और जंक फूड से प्रेम और प्रदूषण की मार आपके बच्चे की आंखों को कमजोर कर रही हैं. यही कारण है कि बचपन में ही आंखों पर मोटा चश्मा लगने के ज्यादातर मामले सामने आ रहे हैं और बच्चे अंधता की गिरफ्त में जा रहे हैं.
मोबाइल ने बच्चों का बचपन छीन लिया है. आउटडोर और इनडोर गेम छोड़ बच्चे सबसे अधिक समय मोबाइल की स्क्रीन के सामने गुजार रहे हैं. उनका ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल गेम खेलते बीतता है या फिर यूट्यूब देखते हुए. सबवे सर्फ, कैंडी क्रश और न जाने ऐसे कितने गेम्स बच्चों की पसंद में शुमार हो चुके हैं. व्हाट्सएप और फेसबुक पर चैटिंग और नेट सर्फिंग बचपन छीन रही हैं. बिना पलक झपकाए बच्चे लगातार कई-कई घंटे तक मोबाइल से चिपके रहते हैं, इसके कारण आंखों का लुब्रिकेशन ठीक से नहीं हो पा रहा है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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आंखों का लुब्रिकेशन न हो पाने का असर आंखों की रोशनी पर भी पड़ रहा है. आठ से 10 साल तक की उम्र होते-होते बच्चों को चश्मे लग जा रहे हैं. आखों के डाक्टरों का मानना है कि आंखों में पलकों के नीचे लुब्रिकेंट बनता है. मगर लगातार मोबाइल देखते रहने और पलक न झपकाने के कारण आंखों की पुतलियों को पर्याप्त लुब्रिकेशन नहीं मिल पाता है. इसका असर आंखों की रोशनी पर पड़ता है. इस कारण बचपन में ही आंखों की दृश्यता कम हो रही है.
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पीले सब्जियां और फल बचाएंगे आंखों की रोशनी
आंखों की रोशनी तेज करने के लिए डाक्टर पीले पत्ते और गूदे वाली सब्जियां और फल खाने की सलाह देते हैं. ऐसा करने से आपकी आंखों की रोशनी लंबे समय तक बनी रहेगी.
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