Post partum Psychosis: डिलीवरी के बाद मां ही पहुंचा सकती है अपने बच्चे को नुकसान, इस वजह से होता है खतरा
Health Tips: डिलीवरी के बाद कई महिलाएं पोस्टपार्टम साइकोसिस से जूझती हैं, लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है. यह बेहद गंभीर मसला है, लेकिन इस पर कोई चर्चा भी नहीं करता.
हाल ही में एक खबर आई थी कि जर्मनी में 28 साल की एक महिला ने अपनी नवजात बेटी को खिड़की से बाहर फेंक दिया. दरअसल, महिला को लगता था कि बच्ची की वजह से उसका करियर बर्बाद हो जाएगा. इस घटना से हर किसी को झटका लगा, लेकिन भी सोचा है कि इसकी वजह क्या है? यह पूरा मामला पोस्टपार्टम साइकोसिस का है, जिसे आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है. इस तरह के मामलों में डिलीवरी के बाद मां खुद ही अपने बच्चे को नुकसान पहुंचा देती है. आइए आपको इस बीमारी के बारे में हर चीज बताते हैं.
बच्ची को फेंकने वाली महिला का क्या हुआ?
खबर की शुरुआत वाली घटना जानकर आपके मन में भी यह सवाल जरूर होगा कि उस महिला का आखिर हुआ क्या? दरअसल, उस महिला का नाम कटरीना जोवानोविक है, जो पोर्शे कंपनी में एग्जिक्यूटिव थी. मामले की जानकारी मिलने के बाद हर कोई हैरान रह गया और लोगों ने उसे क्रूर करार दे दिया. इसके अलावा नवजात की हत्या करने की वजह से उसे साढ़े सात साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि, सोशल मीडिया पर इस पूरे मामले की काफी चर्चा हो रही है. कुछ लोगों ने इसे पोस्टपार्टम साइकोसिस बताया, जिसमें होने वाली गंभीर मानसिक तकलीफ से नई मांएं काफी ज्यादा प्रभावित होती हैं.
क्या वाकई मां अपने बच्चे को पहुंचा सकती है नुकसान?
इस पूरे मामले में एक सवाल सामने आया कि क्या वाकई कोई मां अपने बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है. फरीदाबाद स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में कंसल्टेंट, ऑब्स्टेट्रिक्स और गायनोकॉलजी डॉ. ईशा वाधवा ने बताया कि पोस्टपार्टम साइकोसिस को मेंटल हेल्थ इमरजेंसी की तरह देखा जाता है. इस तरह के मामले 1000 में से 1-2 महिलाओं में सामने आते हैं. दरअसल, बच्चे को जन्म देने के करीब छह सप्ताह के दौरान ऐसे मामले देखे गए हैं.
डिप्रेशन और पोस्टपार्टम ब्लूज में क्या अंतर?
डॉ. वाधवा ने बताया कि पोस्टपार्टम ब्लूज का मतलब मानसिक स्थिति बेहद खराब होने से है. इस तरह के मामलों में बच्चे को जन्म देने के बाद उसके प्रति मां के मन में कोई फीलिंग नहीं होती है. 20 से 25 फीसदी महिलाएं इससे गुजरती हैं. जब अगले दो सप्ताह तक बच्चे के रोने की वजह से मां का मूड खराब होता है. वह काफी खराब महसूस करती है और उसकी नींद उड़ जाती है तो यह स्थिति पोस्टपार्टम डिप्रेशन का रूप ले लेती है. करीब पांच से 10 फीसदी महिलाएं इस स्थिति से रूबरू होती हैं. कई स्टडीज में यह बात सामने आ चुकी है कि 22 फीसदी भारतीय महिलाएं भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जूझती हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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