थायराइड को कंट्रोल करने के लिए करें ये पांच योग, नहीं खानी पड़ेगी दवा
थायराइड आज के समय में एक आम समस्या बन चुकी है. लेकिन रोजाना योगाभ्यास से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है. यहां पांच ऐसे योगासन हैं जो थायराइड को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं.
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थायराइड एक ऐसी समस्या है जिससे आज कई लोग जूझ रहे हैं. इससे शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है, जो कई तरह की दिक्कतें ला सकता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि रोजाना योगाभ्यास से इसे प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है? हां, योग की कुछ खास मुद्राएं थायराइड ग्रंथि को संतुलित कर सकती हैं, जिससे आपको दवाओं पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आइए, आज हम आपको ऐसे पांच योगासन के बारे में बताएंगे जो थायराइड को कंट्रोल में रखने में मदद कर सकते हैं. ये आसन न सिर्फ आपके थायराइड को नियंत्रित करेंगे बल्कि आपकी पूरे हेल्थ को भी बेहतर बनाएंगे.
सर्वांगासन (Shoulder Stand)
सर्वांगासन, जिसे शोल्डर स्टैंड के नाम से भी जाना जाता है, थायराइड ग्रंथि के लिए बहुत फायदेमंद है. यह आसन गर्दन के क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ाता है, जिससे थायराइड ग्रंथि सक्रिय होती है और हार्मोनल संतुलन में सुधार होता है. इससे शरीर के मेटाबोलिज्म में भी मदद मिलती है.
हलासन (Plow Pose)
हलासन, जिसे प्लो पोज़ भी कहा जाता है, गर्दन के पीछे के हिस्से को अच्छी तरह से स्ट्रेच करता है। यह आसन थायराइड ग्रंथि को सक्रिय करता है, जिससे इसकी क्रियाशीलता बेहतर होती है। हलासन का नियमित अभ्यास न केवल थायराइड स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि गर्दन और पीठ को भी लाभ पहुंचाता है।
मत्स्यासन (Fish Pose):
मत्स्यासन, या फिश पोज़, थायराइड ग्रंथि के आस-पास के क्षेत्र में रक्त प्रवाह को बढ़ाकर हार्मोनल संतुलन में मदद करता है. इस आसन का अभ्यास थायराइड के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ गर्दन और कंधों में तनाव कम करने में भी सहायक होता है, जिससे शरीर का हार्मोनल संतुलन सुधरता है.
उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Breathing)
उज्जायी प्राणायाम, जिसे "विजयी श्वास" भी कहा जाता है, थायराइड ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. यह गहरी श्वास लेने की तकनीक गले को संकुचित करती है, जिससे थायराइड पर सीधा प्रभाव पड़ता है, इसे नियंत्रित करने और हार्मोनल संतुलन में सहायता मिलती है.
सेतु बंधासन (Bridge Pose)
सेतु बंधासन, जिसे ब्रिज पोज़ के नाम से भी जाना जाता है, गर्दन और जबड़े के क्षेत्र में तनाव को कम करता है, जिससे थायराइड ग्रंथि के स्वास्थ्य में सुधार होता है. यह आसन न केवल थायराइड को लाभ पहुंचाता है बल्कि पीठ, हिप्स और जांघों को मजबूती भी प्रदान करता है, साथ ही तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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