मां बनना एक महिला एक लिए सुखद एहसास होता है. इस लंबे सफर के दौरान गर्भवती महिला के शरीर और दिमाग में हार्मोनल चेंजेज के साथ दिमाग में कई तरह की बातें भी आती है. प्रेग्नेंसी को लेकर हमारे समाज कई सारी ऐसी बातें जो अक्सर कही जाती है. एक बात जो अक्सर कही जाती है वह यह कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला को बाहर नहीं निकलना चाहिए या खुली आंखों से ग्रहण नहीं देखना चाहिए क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर होता है. और बच्चा विकलांग हो सकता है. अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में हो सकता है? 


मिथ Vs फैक्ट्स


दरअसल, एबीपी लाइव हिंदी ने 'मिथ vs फैक्ट्स' को लेकर एक सीरिज शुरू किया है. इस सीरिज के जरिए प्रेग्नेंसी को लेकर समाज में जितने भी मिथ है. जिसे लोग सच समझकर फॉलो करते हैं हम उनका लॉजिकल तरीके से जवाब देने की कोशिश करेंगे.


 'मिथ vs फैक्ट्स' सीरिज में हम ऐसे मुद्दों को उठाते हैं. उसके तह तक जाने की कोशिश करते हैं. जिससे अक्सर बोलचाल की भाषा में लोग इस्तेमाल करते हैं. जैसे हमारे समाज में प्रेग्नेंसी को लेकर कई सारी ऐसी बातें है जिसे डॉक्टर मिथ मानती है.


जैसे- प्रेग्नेंसी के दौरान केसर का दूध पीने से बच्चे का रंग गोरा होता है, पपीता नहीं खाना चाहिए क्यों गर्भपात हो जाता है, प्रेग्नेंसी के दौरान बैठकर पोछा लगाने से नॉर्मल डिलीवरी होती है. प्रेग्नेंसी में खूब घी खाना चाहिए इससे नॉर्मल डिलीवरी होती है. ऐसे कई सारी बातें हैं जिसे साइंस नहीं मानती है. इस Myth VS Truth सीरिज के जरिए ऐसी बातों को तथ्य के साथ हम आम जनता के साथ पेश करेंगे. ताकि आप दकियानूसी झूठी बातों के दलदल में न फंसे. 


गर्भवती महिला को ग्रहण में घर के अंदर रहना चाहिए


घर के बड़े-बुजुर्ग ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला को घर के अंदर रहने की सलाह देते हैं. कहा जाता है कि अगर ग्रहण की हल्की सी भी छाया गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ी तो वह किसी न किसी विकलांगता का शिकार हो जाएगा. साइंस के मुताबिक ग्रहण एक नैचुरल प्रोसेस है. उससे बच्चे को कई नुकसान नहीं होता है. ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए यह सिर्फ गर्भवती महिलाओं के लिए ही जरूरी नहीं बल्कि ऐसा करने से सभी को मना किया जाता है क्योंकि इससे आंख खराब हो सकती है. 


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