नई दिल्लीः अक्सर लोग सोचते हैं कि उनका बच्चा घर में सुरक्षित है लेकिन ये सच नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी घर में भी बच्चे  सुरक्षित नहीं होते. जी हां, आज हम बात कर रहे हैं चाइल्ड एब्यूज की. चाइल्ड एब्यूज सिर्फ सेक्सुअल एब्यूज ही नहीं बल्कि बच्चे का मानसिक और शारीरिक शोषण भी है.


2012 में स्टार प्ल्स के प्रोग्राम ‘सत्यमेव जयते’ में आमिर खान ने चाइल्ड एब्यूज पर एक प्रोग्राम किया था. इस कार्यक्रम में बॉलीवुड अभिनेता आमिर खाने ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की 2007 की एक रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि देशभर में 53 पर्सेंट बच्चे चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूस (बाल यौन शोषण) का शिकार हो चुके हैं यानि हर दो में से एक बच्चा. सिर्फ बड़े शहरों ही नहीं बल्कि छोटे शहर, टाउन, गांव भी इसमें सभी शामिल है.


आखिर बाल यौन शोषण क्या है-
ये दो तरह का होता है. एक गंभीर तरह का है जिसमें 21पर्सेंट ऐसे बच्चे आते हैं जिसमें रेप, बच्चे को गलत जगह हाथ लगाना, बच्चे को जबरन छूना, उसके कपड़े उतारना और बच्चे की अश्लील तस्वीरें खींचना. कम गंभीर में 32 पर्सेंट बच्चे आते हैं जिसमें बच्‍चे को जबरन चूमना और बच्चे को अश्लील वीडियो दिखाना शामिल है.


लोग सोचते हैं कि चाइल्ड‍ एब्यूज सिर्फ लड़कियों के साथ ही होता है जबकि ऐसा नहीं है. 2007 की महिला एवं बाल विकास मंत्रालय रिपोर्ट के मुताबिक, जिन बच्चों के साथ बाल यौन शोषण हुआ उनमें से 53 पर्सेंट लड़के थे.


क्यों बच्‍चे पेरेंट्स को नहीं बता पाते शोषण के बारे में-




  • सेक्सुअल चाइल्ड एब्यूज काउंसलर अनुजा गुप्ता का कहना है कि दरअसल, ये बड़ों की बच्चों से उम्मी‍द होती है कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है तो वो पेरेंट्स को आकर बताएं. जबकि बड़े ही इस बारे में बच्चों से बात नहीं करते तो बच्चे कैसे अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस करेंगे.

  • बच्चों को पता ही नहीं होता कि इस बारे में पेरेंट्स से क्यों बात करें और कैसे करें.

  • क्या आपने खुद को इस लायक बनाया है कि आप बच्चे की बात सुनें, बच्चे की बात समझें. बच्चे इस बात को समझते हैं कि अगर वे इस बारे में पेरेंट्स को बताएंगे तो उनका विश्वास नहीं किया जाएगा.

  • काउंसलर कहती हैं कि बच्चे जब बताते हैं और उनका विश्‍वास नहीं किया जाता या फिर उन्हें दोषी ठहराया जाता है तो उनकी पीड़ा शोषण से कहीं अधिक हो सकती है.

  • चुप्पी शोषण का ही एक हिस्सा है. लोग बच्चों को धमकी देते हैं कि इसके बारे में बताना मत. बच्चे इससे डर जाते हैं. कई बार बच्चों को अपराधी प्‍यार से बात करता हैं कि ये तुम्हारे और हमारे बीच का मामला है या फिर हम एक खेल खेल रहे हैं. ये सभी बातें होती हैं.


पेरेंट्स को जब पता चलें बच्चे के यौन शोषण के बारे में-




  • पेरेंट्स खुद को सुनने लायक बनाएं.

  • सबसे पहले बच्चे का विश्वास करें कि बच्चे इस तरह की बातों के बारे में झूठ नहीं बोलेंगे.

  • बच्चे को भरोसा दिलाएं कि तुमने जो बताया है वो कहकर तुमने अच्छा किया है.

  • बच्चे से माफी मांगे कि उनके रहते हुए बच्चे के साथ ऐसा हुआ.

  • उसके बाद बच्चे की पूरी बात सुनें और कोई ठोस कदम उठाने का निर्णय लें.

  • अगर घर का ही कोई सदस्य बच्चे के साथ मिसबिहेव करता है तो उसका सामना करें. उसे बताएं कि आप जो कर रहे हैं गलत है. हमें पता है आपने क्या किया है. आगे ऐसा नहीं चलेगा. जरूरी नहीं कि आप हर बार केस पुलिस को ही सौंपें.


इस तरह के लोग होते हैं अपराधी-




  • मनोवैज्ञानिक डॉ. रजत मिश्रा का कहना है कि ऐसे लोग जो बच्चों का यौन शोषण करते हैं इनमें किसी तरह की गिल्ट की भावना नहीं होती. इन्हें पछतावा नहीं होता.

  • ऐसे लोग मानते हैं कि उन्होंने बच्चे के साथ जो किया है वो सही किया है.

  • वे बच्चे को एडल्ट की तरह देखते हैं. वे मानते हैं कि बच्चा इसे एन्जॉय करता है.

  • ऐसे अपराधी शातिर दिमाग से ऐसा करता है. वे किसी को देखकर अपना टारगेट बनाते हैं. बच्चे के मूवमेंट, बच्चे के बिहेवियर और उसके एन्वायरन्मेंट को जांचते हैं.

  • इनमें अपना एक तरह का कॉन्फिडेंस होता है. ये जल्दी‍ ही बच्चों का दिल जीत लेते हैं. बच्चों को बहला-फुसला लेते हैं. बच्चा जल्दी ही इन पर भरोसा करने लगते हैं.


कैसे पहचानें दोषी को-




  • डॉ. रजत मिश्रा कहते हैं कि ऐसे लोगों को आप चेहरे से नहीं पहचान सकते लेकिन उसके बिहेवियर से पहचान सकते हैं कि वो बच्चों की तरफ किसी तरह से आकर्षित हो रहा है.

  • वो बच्चों के साथ बहुत जल्दी घुल-मिल जाएगा.

  • बच्चों के साथ लंबा समय यानि जरूरत से ज्यादा वक्त बिता रहा हो तो ये आपके लिए एक वॉर्निंग है.


चाइल्ड एब्यूज को लेकर एबीपी न्यूज़ से गंगाराम हॉस्पिटल की डॉ. आरती ने बात की.  डॉ. आरती ने कुछ बातों पर खास देने की बात कही है जैसे-




  • बच्चे को अवेयर करना बहुत जरूरी है. फैमिली मेंबर्स बच्चों से समय-समय पर इस पर बात करते रहें.

  • बच्चे को एजुकेट करें कि कोई आपको टच ना करें. प्राइवेट पार्ट्स को कोई टच नहीं कर सकता. आपको कुछ अच्छा नहीं लग रहा तो तुरंत पेरेंट्स को बताएं.

  • कुछ डॉक्यूमेंट्री मूवीज के जरिए बच्चों को एजुकेट कर सकते हैं.

  • बच्चे का बिहेवियर नोट करते रहें. अगर बच्‍चा एक्टिव था और अचानक गुमसुम हो गया है या फिर बच्चे के मार्क्स कम आने लगे हैं तो इसका कारण जानने की कोशिश करें.

  • बच्चा खुद से कभी नहीं बताएगा कि उसके साथ क्या हो रहा है. ऐसे में आप बच्चों पर फोकस करें. बच्चों में इतना विश्वासस जगाएं कि बच्चा अपनी बात कह सकें.

  • अगर बच्चे की पिटाई हो रही है तो इस पर एक्शन लें. बच्चे की काउंसलिंग करके भी बच्चे को समय रहते ठीक कर सकते हैं.

  • अगर बच्चा घर में ही एब्यूज हो रहा है तो पुलिस की मदद ले सकते हैं. एनजीओ की मदद ले सकते हैं.

  • बच्चों को चाइल्‍ड हेल्पलाइन के बारे में बताएं.

  • बच्चों को बताएं कि अगर वो किसी के साथ कंफर्ट महसूस नहीं कर रहा तो शोर मचा दें. या फिर भागकर किसी सेफ प्लेस पर चला जाए. या फिर अपने पेरेंट्स के पास आ जाए.

    बच्चों के लिए जरूरी सलाह-
    ये जरूरी नहीं कि कोई आपसे बड़ा है तो उसको रिसपेक्ट करो. आपको उसके व्यवहार का आदर करना चाहिए उनकी उम्र का नहीं. अगर किसी का व्यवहार आपके साथ ठीक नहीं है तो उसका आदर ना करें फिर उनकी उम्र चाहे कितनी भी हो. बल्कि हमें उनके खिलाफ कंपलेंट या शिकायत करनी चाहिए.


    बच्चों के लिए 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन है. जब भी आप देखें कि कोई बच्चा मुसीबत में है तो तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन पर कॉल करें.